6 दिसंबर 2024: सम्भल का पाकिस्तानी एंगल, पैरामिलीटरी में लाख पद खाली, कैश ट्रांसफर बना निर्णायक चुनावी दांव, फड़नवीस के 5 विवाद, भारत से करारों की समीक्षा करेगा बांग्लादेश, अडानी को मिली मोदी की शह..
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
सम्भल हिंसा ‘सुनियोजित’ और ‘पाकिस्तानी हाथ’ : सम्भल को लेकर अब कयासों का दौर शुरू हो गया है. जबकि वहाँ सर्वे करने की कार्रवाई फौरी थी, पुलिस और मुख्यधारा का मीडिया हिंसा को सुनियोजित तैयारी और पाकिस्तान का हाथ बताने में लगा है. इस बीच एक्स पर खोजी पत्रकार सौरव दास ने बुल्डोजर एक्शन का वीडियो डालकर लिखा है- यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय और भारत के भावी मुख्य न्यायाधीश को सीधी चुनौती है. क्या न्यायालय इसे यूं ही चलने देगा? इस बीच पुलिस ने मंगलवार को शाही जामा मस्जिद के पीछे हिंसा प्रभावित सड़क पर तलाशी अभियान के दौरान पाकिस्तान और अमेरिका के कारतूस बरामद करने का दावा किया है. अखिलेश यादव ने कहा, ‘सच्चाई यह है कि भाजपा के अधीन पुलिस लोगों को झूठा फंसाने के लिए ये काम करती है. पुलिस केवल लोगों को फंसा रही है, उन्हें न्याय नहीं दे रही है.’ दैनिक जागरण के डिजीटल संस्करण में लिखा है कि सम्भल की हिंसा सुनियोजित हिंसा थी और न्यूज 18 का कहना है कि ‘सम्भल की हिंसा में पाकिस्तानी हाथ.’ अधिकारियों ने कहा है कि उसने सम्भल हिंसा में शामिल होने के संदेह में 400 लोगों की पहचान की है. वह सभी के पोस्टर लगाएगी.
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) और असम राइफल्स में 1 लाख से भी ज्यादा पद खाली हैं, जिनमें से सबसे अधिक 33,730 रिक्तियां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में हैं. यह जानकारी बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में दी गई. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 30 अक्टूबर 2024 तक CAPF और असम राइफल्स में कुल तैनात कर्मियों की संख्या 9,48,204 थी.
मणिपुर की न्यायिक जाँच का समय बढ़ाकर अब 20 मई कर दिया गया है. जाँच का काम गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अगुवाई में तीन सदस्यों के आयोग को 20 नवम्बर का पूरा करना था. अभी आयोग सबूत भी इकट्ठा नहीं कर सका है.
आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ जाँच करने वाले आईपीएस अफसर एन संजय को राज्य सरकार ने सस्पेंड कर दिया है. संजय पहले सीआईडी के डीजी भी रहे हैं. उन पर राज्य आपदा प्रबंधन और अग्नि शमन सेवाओं के डीजी होने के कार्यकाल के दौरान एक करोड़ रूपये के गबन का आरोप लगाया गया है.
छुट्टी पर घर आये सेना के जवान को बुधवार को कश्मीरी आतंकवादियों ने गोली मार दी. दिलेर मुश्ताक सोफी पुलवामा जिले के त्राल में कुछ दिन परिवार के साथ बिताने आया हुआ था.
बांग्लादेश में हुई सर्वदलीय बैठक में आज सरकार के कानूनी सलाहकार की तरफ से प्रस्ताव रखा गया कि शेख हसीना के कार्यकाल में हुए भारत के साथ सभी करारों की समीक्षा की जाए. बैठक की अध्यक्षता मुहम्मद युनुस कर रहे थे और डेली स्टार के मुताबिक उन्होंने कहा कि जो ‘आजादी’ उनके देश ने हसीना को हटाने के बाद हासिल की है, ‘कुछ लोगों को पच नही पा रही है’ जो ‘हमारी तरक्की को रोकना’ चाहते हैं. यह बयान अगरतला में बांग्लादेशी काउंसलर के घर पर हुई तोड़फोड़ के बाद आया है. बैठक में हसीना की अवामी लीग शामिल नहीं थी.
गुजरात को गोधरा में एक अदालत ने गौहत्या के झूठे मामले दर्ज करने के लिए तीन पुलिस कर्मियों और दो पंच गवाहों पर आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश सुनाया है. मवेशियों को एक से दूसरी जगह ले जा रहे लोगों पर सिर्फ संदेह के आधार पर गौकशी का मामला दर्ज कर लिया था. दो पंच गवाहों में से एक खुद को गौरक्षक भी बता रहा था. जिन पर मामला बनाया गया था वह 2000 से गिरफ्तार थे.
दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को दावा किया है कि गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह के जरिए भारत की युवा पीढ़ी को नशे में धकेला जा रहा है. साथ ही ये भी कहा कि इस काम में देश के भीतर भाजपा शासित राज्य मदद कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में बच्चों पर 5, गायों पर 35 रुपये का बजट: सीजी खबर के लिए ममता मानकर की रिपोर्ट है कि गायों के लिए चिंतित छत्तीसगढ़ सरकार की प्राथमिकता में राज्य के बच्चे, बुजुर्ग और विधवाएं कहीं नहीं दिखते हैं. सरकार ने गौशाला की गायों की देखभाल के लिए प्रति गाय दी जाने वाली अनुदान की रकम को 25 रुपये से बढ़ा कर 35 रुपये करने का फ़ैसला किया है. हालांकि, राज्य में बच्चों के मध्यान्ह भोजन पर राज्य सरकार प्राइमरी के प्रति बच्चे के लिए कुल 5 रुपये 45 पैसे खर्च करती है, जबकि अपर प्राइमरी के बच्चों के लिए 8 रुपये 17 पैसे ही सरकारी खजाने से निकल पाते हैं. इसमें भी प्राइमरी के बच्चों के लिए केंद्र सरकार 3 रुपये 27 पैसे भेजती है और राज्य सरकार केवल 2 रुपये 18 पैसे.
रिपोर्टर्स कलेक्टिव की तहकीक़ात: मोदी ने कैसे की अडानी की मदद
मामला पुराना है, अडानी का चर्चित सौर ऊर्जा वाला रिश्वत कांड, लेकिन कहानी एकदम नई है कि कैसे मोदी की सरपरस्ती में अडानी के लिए इस अनुबंध को हासिल करने के लिए रास्ता तैयार किया गया. बाकायदा टेंडर में ऐसी कंपनियां भी शामिल हुई जो अडानी के साथ पहले ही डील कर रही थी और इनके सौदों की जांच भी नहीं की गई. केंद्र सरकार ने पहले एक सौर ऊर्जा नीलामी की रूपरेखा तैयार की, जिसने टेंडर की प्रतिस्पर्धा को हतोत्साहित किया और अडानी समूह के लिए अगले 25 सालों तक हजारों करोड़ रुपये में महंगी बिजली बेचने का रास्ता बनाया गया.
रिपोर्टर्स की सामूहिक जांच से पता चलता है:
28 अक्टूबर की सुनवाई के दौरान आयोग ने पूछा कि यह "स्वचालित प्रतिस्थापन" कैसे हुआ और क्या सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) द्वारा हस्ताक्षरित मूल ऊर्जा खरीद समझौता (PPA) इसे अनुमति देता है.
रिपोर्ट के अनुसार 2021 के अंत में SECI ने आंध्र प्रदेश की डिस्कॉम कंपनियों के साथ 7,000 मेगावाट सौर ऊर्जा आपूर्ति के लिए समझौते किए थे, जिसमें से 2,333 मेगावाट की आपूर्ति एज़्योर पावर द्वारा की जानी थीए लेकिन एज़्योर के परियोजना से हटने के बाद, यह अडानी को हस्तांतरित कर दी गई. हालांकि मूल पीपीए के अनुच्छेदों में परियोजना के पूरी तरह चालू होने की तारीख (सितंबर 2026) से पहले किसी भी क्षमता हस्तांतरण पर रोक थी.
SECI ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल से राय मांगी, जिसमें नई निविदा प्रक्रिया के बिना परियोजना को अडानी को स्थानांतरित करने का समर्थन किया गया. आंध्र प्रदेश सरकार की परियोजना जारी रखने की सिफारिश के बाद SECI ने यह हस्तांतरण "एज़्योर की शर्तों और संशोधित समयसीमा" पर कर दिया.
2019 में, मोदी सरकार द्वारा डिज़ाइन की गई सौर ऊर्जा नीलामी प्रक्रिया अडानी ग्रुप के पक्ष में झुकी हुई प्रतीत हुई. नियम इतने जटिल और अनियमितताओं से भरे थे कि यह अडानी के लिए उपयुक्त बनाई गई लगती थी.
केवल दो प्रतिस्पर्धियों, एज़्योर पावर और नवयुग इंजीनियरिंग ने भाग लिया. नवयुग ने उच्चतम शुल्क की बोली लगाई और हारने के बाद, उसने अपना आंध्र प्रदेश पोर्ट अडानी को हजारों करोड़ रुपये में बेच दिया, जो सवाल खड़े करता है.
अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि एज़्योर और अडानी ने मिलकर 2,000 करोड़ रुपये की रिश्वत देकर सरकारी अधिकारियों को महंगे दाम पर सौर ऊर्जा बेचने के लिए मजबूर किया.
नीलामी की शर्तों में नीति हेरफेर ने अडानी को 8 गीगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाओं के अनुबंध दिलाए, जो उनकी प्रारंभिक बोली से दोगुने थे. इससे उन्हें अगले 25 वर्षों में 1.5 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की गारंटी मिली, जो एज़्योर को मिलने वाले राजस्व से दोगुना है.
केंद्रीय विद्वुत नियामक आयोग (सीईआरसी) ने आंध्र प्रदेश में 7,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना में एज़्योर पावर इंडिया की 2,333 मेगावाट क्षमता को अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) को हस्तांतरित करने पर सवाल उठाया है, जो कि कथित रिश्वतखोरी के आरोपों का केंद्र है. 'द इकॉनमिक टाइम्स' में निधि शर्मा की रिपोर्ट बताती है कि यह सीईआरसी के लिए चिंताजनक मुद्दा बन गया है और अब इस हस्तांतरित प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी मांगी गई है. इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि इस सौदे का उपभोक्ताओं और ऊर्जा बाजार पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. सीईआरसी ने सौदे की पारदर्शिता और इसके प्रतिस्पर्धा पर प्रभाव की जांच करने की आवश्यकता जताई है.
कूटनीतिक मामलों के विश्लेषक औऱ पूर्व राजदूत विवेक काटजू लिखते हैं कि अगर सरकार को लगता है अमेरिकी एजेंसी अडानी मामले में कुछ गलत कर रही हैं, तो उन्हें इसके विरोध में कुछ करना चाहिए.
(साभार - पीटीआई)
गुरुवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि देश की जनता चाहती है कि 'अडानी महाघोटाले' पर संसद में चर्चा हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार इस चर्चा से भाग रही है. विपक्ष ने अडानी रिश्वत कांड की संयुक्त संसदीय जांच की मांग करते हुए संसद परिसर में नारे लगाए. इस दौरान इंडिया बलॉक के नेताओं ने ‘मोदी अडानी एक है’ और ‘अडानी सुरक्षित है’ लिखे स्टिकर वाले काले जैकेट इस दौरान पहने हुए थे. राहुल गांध्धी ने भी इस दौरान संसद परिसर में हुए प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया.
टेलीग्राफ ने गिनाए फडणवीस से जुड़े 5 विवाद
चुनाव नतीजों के 13 वें दिन भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस ने वृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. मुंबई के आजाद मैदान पर एक भव्य समारोह में उनके साथ शिवसेना के एकनाथ शिंदे और एनसीपी के अजित पवार ने भी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. हालांकि इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक शिंदे डिप्टी बनने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह के मुंबई हवाई अड्डे पर लैंड करने के चंद मिनट पहले उन्होंने हामी भर दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और एनडीए के नेता भी इस मौके पर मौजूद थे.
54 वर्षीय फडणवीस को तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है. टेलीग्राफ ने फड़नवीस से जुड़े पाँच विवादों की लिस्ट बनाई है. एक तो यह कि विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान उन्होंने लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगियों के खराब प्रदर्शन के लिए ‘वोट जिहाद’ को वजह बताया. दूसरा: बतौर उपमुख्यमंत्री उनके पास गृह विभाग की जिम्मेदारी थी, लेकिन मुंबई में गैंगस्टर्स की वापसी हुई. फिल्म अभिनेता सलमान खान के बांद्रा स्थित घर के बाहर फायरिंग होना और चुनाव के एक माह पहले एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या, ये दोनों मामले उनके कार्यकाल में ही हुए और जेल में बंद गैंगस्टर लारेंस विश्नोई ने इनकी जिम्मेदारी ली. तीसरा : फडणवीस की पत्नी अमृता की एक क्रिकेट बुकी के साथ व्हाट्स ऐप चैट का मामला सामने आया. मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में बुकी और अमृता के बीच कथित बातचीत का उल्लेख भी था. चौथा: फरवरी 2016 में फडणवीस मुख्यमंत्री थे, तब भी अमृता पर पुणे में एक कार्यक्रम में किसी बाबा से चमत्कार के रूप में एक चेन स्वीकार करने का आरोप लगा था. पांचवा: अमृता विवाह के पहले जिस बैंक में बड़े ओहदे पर काम करती थीं, उसमें राज्य के पुलिस कर्मियों के खाते ट्रांसफर करने का आरोप भी फड़णवीस पर लगा था.
विश्लेषण: कैश ट्रांसफर से बदली महिलाओं ने चुनावी बिसात?
राजेश चतुर्वेदी
पिछले साल (2023) नवंबर की बात है, मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव सिर पर आ गया था. राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बुधनी की चुनावी सभा में खुलासा कर रहे थे कि महिलाओं के खाते में सीधे पैसा डालने वाली “लाड़ली बहना” स्कीम कब उनके दिमाग में आई और सबसे पहले किसको उन्होंने इस योजना के बारे में बताया. तो, शिवराज ने महिलाओं से कहा, “28 फरवरी (2023) को मैं रात भर नहीं सोया. सुबह 4 बजे तुम्हारी भाभी (साधना सिंह) को सोते से उठाया और बताया कि मेरे दिमाग में यह योजना आई है और मुझे बहनों के खाते में पैसे डालना हैं.” बहरहाल, जून 2023 से मध्यप्रदेश की लगभग 1 करोड़ 32 लाख महिलाओं, जो योजना के मुताबिक पात्र थीं, के खातों में सरकार हर माह 1 हजार रुपए डालने लगी. नवंबर में राज्य का चुनाव आते आते इसे बढ़ाकर 1250 रुपए कर दिया गया. चुनाव हुए और जो नतीजा आया, उससे लोगों की खोपड़ी चकरा गई. भाजपा को 230 में से 163 सीटें मिलीं. 70 फीसदी से भी ज्यादा. खुद भाजपा को समझ नहीं आया कि यह हुआ क्या? सब एक झटके में धुल गया. 19 साल की एंटी इनकंबेंसी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, घोटाले, पार्टी के भीतर का असंतोष और स्वयं चौहान के चेहरे से ऊब. सारी गंदगी, कूड़ा कर्कट बहा ले जाने का जो काम नदी में बाढ़ करती है, वो “लाड़ली बहना” ने कर डाला. सब बहाकर ले गई. वर्ना, चुनाव के 9 माह पहले फरवरी (जब चौहान के दिमाग में लाड़ली बहना का जन्म हुआ) तक मप्र में भाजपा की हालत अच्छी नहीं थी. कई स्रोतों से हुए उसके अपने सर्वे भी कांग्रेस को आगे बता रहे थे. लेकिन 2 करोड़ 72 लाख महिला वोटरों में से 1 करोड़ 32 लाख के खातों में जून महीने से सीधा पैसा पहुंचने लगा. रक्षाबंधन पर बोनस दिया गया. राशि बढ़कर 1250 रु. हो गई. कांग्रेस 1500 रु. का वादा कर रही थी, लेकिन शिवराज सरकार 6 माह से डाल रही थी. कांग्रेस “अर्थ के मनोविज्ञान” को समझ ही नहीं पाई और उसके सारे अरमान, वादे जमींदोज हो गए.
महाराष्ट्र और झारखंड के नतीजों के बाद यह धारणा अब हकीकत में तब्दील होती लग रही है कि राज्यों के चुनावों में “कैश ट्रांसफर” एक बड़ा टूल बन चुका है. महिलाओं के खाते में सीधे पैसा डालकर आप हारी बाजी को भी पलट सकते हैं. माने, आम लोगों की मूलभूत जरूरतों शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार या उनके दैनिक जीवन से जुड़े मुद्दों, नीतियों पर कुछ करें न करें, मगर कैश ट्रांसफर आपका डंका बजाता रहेगा. लोकसभा चुनाव में फजीहत होने के बाद महाराष्ट्र में शिंदे सरकार ने होशियारी दिखाई और चुनाव से 5 माह पहले “लाड़की बहना” योजना ले आई. उसने 1 जुलाई से 1500 रुपए महिलाओं को देना शुरू कर दिए. 20 नवंबर को वोटिंग थी तो “अर्थ के मनोविज्ञान” के तहत अक्टूबर नवंबर की किश्त 3 हजार रुपए दीवाली के पहले अक्टूबर में ही दे दिए. जरा कल्पना कीजिए, 2 करोड़ 35 लाख महिलाओं के मानस पर किसका असर हुआ होगा? महा विकास अघाड़ी के वादों या महायुति के कैश ट्रांसफर का? महिलाओं की वोटिंग 6 फीसदी बढ़ गई. जून में लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को महायुति से 2 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले थे. और जुलाई से शिंदे ने 1500 नगद खाते में देने शुरू कर दिए.
पांच माह में ही परिणाम बदल गया. कमोबेश, यही कमाल झारखंड में सत्तारूढ़ जेएमएम और गठबंधन के लिए “मैया सम्मान” योजना ने किया. अक्टूबर में झारखंड की कैबिनेट ने फैसला किया कि महिलाओं को दिसंबर से 1 हजार से बढ़ाकर 2500 रुपए दिए जाएंगे. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी लक्ष्मी भंडार योजना चला रही हैं. राशि बढ़ाकर पहले लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन किया और उपचुनाव में विधानसभा की सभी छह सीटें जीत लीं. कर्नाटक में कांग्रेस भी यही कर रही है. हरियाणा में भाजपा को तीसरी बार सत्ता में वापसी के लिए 2100 रु. का वादा करना पड़ा. ये सब देखकर बिहार में नीतीश कुमार 15 दिसंबर से महिला संवाद यात्रा शुरू करने वाले हैं. अगले साल 2025 में विधानसभा के चुनाव हैं, लिहाजा वहां भी लाड़ली बहना की तर्ज पर योजना विचाराधीन है.
सवाल यही है, क्या राजनीतिक दलों ने चुनाव जीतने का नया तरीका खोज लिया है? देश में कोई 10 राज्यों में महिला वोटरों के खातों में सालाना लगभग 1 लाख 68 हजार 495 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा रहे हैं. सीधे महिलाओं के खाते में राशि डालने का क्या नतीजा होता है, यह सबसे संपन्न राज्य महाराष्ट्र ने दिखाया भी. स्क्रॉल में शोएब दानियाल की रिपोर्ट कहती है कि कैश ट्रांसफर स्कीम दूर से देखने पर कल्याणकारी लगती है, लेकिन असल में इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर खासा असर पड़ रहा है. सरकार को लगता है कि नगद राशि देकर उनका काम चल जाएगा, लिहाजा वह मानव पूंजी तैयार करने का अपना बुनियादी कर्म नहीं कर रही है.
इसी रिपोर्ट में सेंटर ऑफ पॉलिसी रिसर्च की पूर्व अध्यक्ष यामिनी अय्यर कहती हैं कि चीजें बदल गई हैं. नेता अब सीधे ऑफर करते हैं. उदाहरण के लिए मोदी की गारंटी या मुख्यमंत्री की योजना जैसे जुमले सुनना असामान्य नहीं है. पहले इस तरह की योजनाओं को लाभार्थी तक पहुंचाने के लिए सरकारी मशीनरी भिड़ती थी, लेकिन अब ये कैश ट्रांसफर नेता की तरफ से सीधे नागरिक के खाते में होता है. हम इसे कल्याण का “तकनीकी पितृसत्तात्मकता” रूप कहते हैं. ‘द मिंट’ में अर्थशास्त्री और पत्रकार विवेक कौल ने कहा है कि कैश ट्रांसफर की सियासत सिर्फ वोटों पर ही नहीं, सरकारी बजटों पर भी असर डाल रही है. हम न तो तेल पर लगने वाले टैक्स के युक्तिकरण की उम्मीद कर सकते हैं और न ही आयकर में किसी राहत की.
जल्लाद चाहता है कि उसके घर में फांसी के फंदे की बात न हो
अपूर्वानंद ने 'द वायर' के लिए अपने कॉलम में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ रही नफरत और हेट स्पीच को संविधान और न्याय के बरक्स आंका है. उन्होंने लिखा- एडोर्नो ने कहा था कि ‘फांसीघर का जल्लाद चाहता है कि उसके घर में फांसी के फंदे की बात न हो’. भारत में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा और नफरत के अपराधों पर आवाज़ उठाने वालों को निशाना बनाया जा रहा है. एपीसीआर (एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स) के राष्ट्रीय सचिव नदीम खान और फैक्ट-चेकिंग पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ हाल ही में दर्ज एफआईआर ने यह बहस छेड़ दी है कि क्या न्याय और सच की बात करना अब अपराध है? मजाज़ के शब्दों में, 'संदेशवाहक को ही दोषी ठहरा दिया जाता है.' यह तर्क दिया गया कि हिंदुओं की हिंसा ‘देश की एकता के लिए’ है, जबकि मुसलमानों का प्रतिरोध ‘देश-विरोधी’ है. अदालतें भी इस भेदभाव को बनाए रखने में भूमिका निभाती हैं, जैसे कि 2002 के गुजरात दंगों में जाकिया जाफरी की न्याय की मांग को ‘बेहद ज़िद्दी’ बताया गया. अपूर्वानंद ने लिखा है कि सरकार और अदालतें, अक्सर हिंदू नफरत भरे भाषणों को ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ मानती हैं, वहीं मुस्लिमों द्वारा न्याय की मांग को ‘देश-विरोधी’ करार दिया जाता है.
संविधान का हक़ अलग है, जमीन का सच अलग
निधीश त्यागी
सोशल मीडिया पर एक वीडियो दो दिन से वायरल हो रहा है. मुरादाबाद के एक जोड़े ने एक मकान जिस मुहल्ले में खरीदा, वहां के लोग उनका विरोध कर रहे हैं. जोड़ा धर्म से मुसलमान है पेशे से डॉक्टर. ये समझना मुश्किल नहीं है कि पड़ोस में दो डॉक्टरों के होने से मुहल्ले को ख़तरा होने वाला है या मदद मिलने वाली है. और जब भी सेहत को लेकर कोई दिक़्क़त आती है, तो ज़ाहिर है डॉक्टर का पास होना एक तरह की नेमत है.
उन डाक्टरों के बारे में सोचना चाहिए. उन मकानों के बारे में जो लोग कितनी मुश्किल से बनाते हैं. कितना पढ़े लिखे होंगे, अपनी प्रैक्टिस जमाई होगी, कितनी जानों को बचाया होगा, कितने बीमारों को ठीक किया होगा, कितने गरीबों का इलाज किया होगा. क्या यह सोच कर कि यह मरीज़ हिंदू है इसलिए उसका इलाज न किया जाए. मकान बेचने वाला भी डॉक्टर बताया जाता है जिसने मक़ान बेचा.
पर नहीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पॉश टीडीआई सोसाइटी के लोगों को तकलीफ है कि डॉ बजाज ने डॉ इकरा चौधरी को अपना मकान बेच दिया. उस मकान में बैनर लगा दिये गये कि डॉ अशोक बजाज अपना मकान वापस लो. प्रदर्शन हुए और एक ने पीटीआई से कहा, यह एक हिंदू सोसाइटी है, जहां 400 से ज्यादा हिंदू परिवार रहते हैं. हमें यहां दूसरे समुदाय के लोग नहीं चाहिए.’ यह भी कहा कि पास में मंदिर है. एक दूसरे रिहाइशी को लगा कि इस तरह तो इस जगह के डेमोग्राफिक स्ट्रकचर में डिस्टर्बेंस होगा और दूसरे समुदायों के लोगों के आने से हिंदू यहां से जाना शुरू कर देंगे.
संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकारों में से एक है. और धर्म का तो मौलिक अधिकार है ही. इसलिए जब लोग उसका विरोध कर रहे हैं और उग्र हो रहे हैं तो वे संविधान के ख़िलाफ़ भी खड़े हो रहे हैं.
इस वक़्त के भारत में इस तरह की बात पहली बार नहीं हो रही है. और आगे बढ़ेगी ही, ऐसा लगता है. इससे पहले गुजरात में भी ऐसा हो चुका है. मुस्लिम छात्र हों या नौकरीपेशा, उन्हें किराये पर मक़ान मिलना आसान नहीं है और न ही बैंकिंग सुविधाएँ. चाहे फल सब्जी बेचने वाला हो, या होटल वाला, या शादी की मेंहदी लगाने वाला या फिर अपने उन हक़ों की मांग करने वाले, जो उन्हें संविधान ने दिये हैं.
एक तरफ भारत में बांग्लादेश में सरकार बदलने के बाद से वहाँ के अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्म का मुर्दाबाद कर रहे हैं, वहीं जो हमारी नाक के नीचे हो रहा है वह हमारी सरकारों, हमारी अदालतों और पुलिस को दिखलाई नहीं दे रहा. दिखलाई नहीं दे रहा सच नहीं हो सकता. वीडियो वे भी देख रहे हैं और कुछ कर नहीं रहे. कुछ करना नहीं चाहते.
गड़बड़ यहां है. नफरत के इस जहर को समाज के कुएं में मिलाने में वह शामिल हैं. अगर उनकी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति सचमुच होती, तो भी क्या ऐसा होता? हाल ही में एक एसपी ने उत्तराखंड में अदालत के हुक्म के बाद महापंचायत की इजाज़त नहीं दी, उसका तबादला कर दिया गया. महापंचायत हुई और फिर वही खटराग अलापे गये.
ये वीडियो भारत में हर किसी को देखना चाहिए. अपने बच्चों को भी दिखाना चाहिए. अपने उम्रदराज बुजुर्गों को भी. यह उस हिंदुस्तान की एक निर्णायक तस्वीर है, जिसमें आप और मैं अब रह रहे हैं. जहां हमारी नागरिकता और अधिकार के साथ साथ हमारे संविधान को भी हर रोज़ झूठा साबित होना पड़ रहा है, हर उस वीडियो के आने पर, जो वायरल हो रहा है.
ये उस हिंदुस्तान का सपना है, जहाँ हमारे बच्चे बड़े हो रहे हैं. और हमारे नेता लोग और बच्चे पैदा करने का पवित्र आह्ववान कर रहे हैं. उस हिंदुस्तान में जहाँ अब डॉक्टरों से भी ख़तरा है. और जहाँ अब संविधान की चलती नहीं.
एमनेस्टी ने कहा गाज़ा में इजरायल का नरसंहार
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गाज़ा पट्टी में इजरायल के हमले को नरसंहार करार दिया है. अपनी 296 पेज की रिपोर्ट में एमनेस्टी ने कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे में नरसंहार का अपराध है. 14 महीने पहले शुरू हुए इस युद्ध पर किसी प्रमुख मानवाधिकार संगठन ने इस तरह की पहली टिप्पणी की है. अक्टूबर 2023 से जुलाई 2024 के बीच गाज़ा में हुई घटनाओं की जांच करने वाली यह रिपोर्ट गुरुवार को जारी हुई. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस नरसंहार से बचने के लिए इजराइल 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले की आड़ नहीं ले सकता. रिपोर्ट का पीडीएफ यहां से डाउनलोड किया जा सकता है.
रूसी साइबर हमलों से रोमानिया का इलेक्शन हैक
रोमानिया में हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव हुए और इस दौरान मुल्क ने रूसियों के साइबर हमलों को झेला. एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार भी नहीं... बल्कि पूरे 85 हजार दफा ये साइबर हमले हुए. रूसी हैकर्स ने रोमानिया की चुनावी वेबसाइटों पर ये हमले किए और काफी डेटा ले उड़े. इसके अतिरिक्त रूसी खुफिया एजेंसियों ने सोशल मीडिया पर कैलिन जॉर्जेस्कू के समर्थन में एक ऑनलाइन अभियान भी चलाया, जिससे उनकी लोकप्रियता में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई. कैलिन जॉर्जेस्कू भी धुर अतिराष्ट्रवादी हैं और उन्हें रूस का समर्थक उम्मीदवार माना जाता है. एक और दिलचस्प बात, कैलिन जॉर्जेस्कू राष्ट्रपति चुनाव में पहले दौर का मतदान जीतने तक रोमानिया में लगभग अज्ञात थे. जॉर्जेस्कू ने अपने अभियान के लिए मुख्यतः टिकटॉक का उपयोग किया.
रूसी मनी लॉंड्रिंग नेटवर्क का भंडाफोड़
करीब 8,000 करोड़ रुपये के रूसी मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का भंडाफोड कई मुल्कों की 'पुलिस' ने मिलकर किया है. इसे चलाने वाली रूसी औरत एकेटरीना झदानोवा और उसका पार्टनर जॉर्ज रोसी अब भी गायब हैं. दुनिया में ये कहां हैं, किसी को नहीं पता. खुलासा हुआ है कि रूसी अपराधियों के इस नेटवर्क का इस्तेमाल यूके में नशीली दवाओं के तस्कर, वित्तीय अपराधी और विदेशी जासूसों द्वारा किया जा रहा था. कुल 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और करीब 200 करोड़ रुपये से अधिक नगदी और क्रिप्टोकरेंसी जब्त की गई है. यह नेटवर्क न केवल यूके में बल्कि पश्चिमी देशों में संगठित अपराध गिरोहों के लिए काम करता था. इसमें रूसी हैकिंग समूह शामिल थे, जो कंपनियों से रैंसमवेयर हमलों के जरिए पैसे वसूलते थे. नेटवर्क का उपयोग रूसी अभिजात वर्ग भी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए कर रहा था.
ट्रम्प ने अपराधी समधी को फ्रांस का राजदूत लगाया
डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को घोषणा की कि वह फ्रांस में राजदूत के रूप में काम करने के लिए अमीर रियल एस्टेट कारोबारी और अपने दामाद जेरेड कुशनर के पिता चार्ल्स कुशनर को नामित किया है. ट्रम्प ने कुशनर को अपने पहले कार्यकाल के अंतिम दिनों में भी कई अपराधों के लिए माफी दे दी थी. कुशनर ने भी बदले में ट्रम्प के 2024 अभियान पर जमकर डॉलर लुटाए. इससे पहले कुशनर टैक्स फ्रॉड, गवाहों को प्रभावित करने और राजनीतिक ब्लैकमेल के आरोपों में दोषी ठहराए गए थे और अवैध राजनीतिक दान के अपराध में 14 महीने की जेल की सजा काट चुके हैं. उनकी सजा के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक था, जब उन्होंने अपने बहनोई को ब्लैकमेल करने के लिए एक महिला के साथ उसके अंतरंग पलों का पहले वीडियो रिकॉर्ड करवाया और फिर इसे अपनी ही बहन को भेज दिया. यह घटना 2004 में अमेरिकी मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट की गई थी. कुशनर के पूर्व कानूनी मुद्दों के कारण, उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए जा रहे हैं. ट्रम्प ने अपने परिवार के अन्य सदस्यों और करीबी सहयोगियों को भी महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया है, जैसे कि मासाद बूलोस को मध्य पूर्व और अरब मामलों के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में नामित किया है. मासाद बूलोस और जेरेड कुशनेर के बीच रिश्ता व्यवसाय और राजनीति के संदर्भ में जुड़ता है. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नियुक्ति अमेरिका-फ्रांस संबंधों को कैसे प्रभावित करती है.
वे भूलेंगे नहीं बेटी को: लगभग चार महीने पहले कलकत्ता के सरकारी आरजीकर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई डॉक्टर के माता-पिता ने गुरुवार को अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग में विपक्षी भाजपा की भूमिका पर नाखुशी व्यक्त की है. डॉक्टर के परिजन ने कहा- 'ऐसा लगता है कि हमारी बेटी की यातना और हत्या को पश्चिम बंगाल की प्रमुख विपक्षी पार्टी भूल गई है, लेकिन हम अपनी बेटी को नहीं भूल सकते. हम सड़क पर उतरकर विरोध करेंगे. आम लोग हमारे साथ हैं. जूनियर डॉक्टर हमारे साथ हैं.'
डिजीटल अरेस्ट करने वाला गिरफ्तार: चेन्नई पुलिस ने असम के पार्था प्रतिम बोरा (38) को 'डिजिटल गिरफ्तारी' धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है. 'इंडियन एक्सप्रेस' के लिए एक रिपोर्ट अरुण जर्नाद्धनन ने की है जिसमें उन्होंने बताया है कि बोरा ने आठ लेन-देन में लगभग 3.8 करोड़ रुपये लोगों से ठगे थे और इस पैसे को बोरा ने 178 खातों में अलग-अलग बांट दिया था. पकड़ा तब गया जब एक रिटायर पुलिस अफसर को अपने जाल में फंसाने की कोशिश की.
हाथियों के लिए बाड़: हाथी भटक कर अपनी रिहाइश से बाहर न चले जाएं और दुर्घटनाओं का शिकार न हों, इसको रोकने के लिए कर्नाटक सरकार के पास बजट नहीं है, लेकिन एक आइडिया सरकार को मिला है. वह है पड़ोसी राज्य तमिलनाडु की कॉस्ट इफेक्टिव स्टील रोप फेंसिंग (बाड़) का पता लगाने का. हां, और इसके लिए बाकायदा वन मंत्री ईश्वर भीमन्ना खांडरे ने विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे तमिलनाडु जाकर इस बाड़ की जांच करें. तमिलनाडु में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए सौर ऊर्जा से संचालित बाड़ का उपयोग किया गया है, जो हाथियों को मानव बस्तियों से दूर रखने में मददगार साबित हुआ है.
चलते चलते : अशोक का पाटलिपुत्र दुबारा निकालने की कोशिश
'इंडियन एक्सप्रेस' के लिए संतोष कुमार की एक रिपोर्ट बताती है कि पटना रेलवे स्टेशन से पांच किमी दूर कुम्हरार के मौर्य पुरातात्विक स्थल में एएसआई ने दोबारा खुदाई शुरू कर दी है. ये वो जगह है जहां कभी 80 बलुआ पत्थर के खंभे खड़े थे. विशेषज्ञों का कहना है कि ये खंभे मौर्यकालीन राजधानी पाटलिपुत्र में एक खुली हवा वाले असेंबली हॉल का हिस्सा थे. यहीं पर सम्राट अशोक ने गुटों में बंटे बौद्ध संघ को एकजुट करने के लिए तीसरी बौद्ध परिषद की निर्णायक बैठक बुलाई थी. ये ऐतिहासिक स्थल 2004-2005 में बढ़ते जल स्तर के कारण जलमग्न हो गया. इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस क्षेत्र को मिट्टी से ढँक दिया था. अब, 20 साल बाद, एएसआई ने उन स्तंभों को उजागर करने का निर्णय लिया है जो मौर्य साम्राज्य की सीट पाटलिपुत्र को वर्तमान पटना से जोड़ने वाले साक्ष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
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