25 दिसंबर 2024: 5 राज्यों के नये राज्यपाल, अनसुने क्यों हो रहे हैं भागवत, जंगलों की सेहत, स्विगी की लिस्ट में बिरयानी नंबर 1, बीफ को लेकर तमिलनाडु, गोवा में हंगामा, पीपल्स आर्काइव्ज के 10 साल
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
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आज की सुर्खियाँ: राष्ट्रपति भवन की ओर से मणिपुर समेत 5 राज्यों में राज्यपालों को नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की गई है. पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. मणिपुर में एक साल से मैतेयी और कुकी-ज़ो के बीच जातीय हिंसा भड़की हुई है. इसके अतिरिक्त, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को केरल में कार्यकाल पूरा करने के बाद अब बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया है. बता दें कि बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्यपाल के रूप में खान का केरल में पूरा कार्यकाल केरल सरकार के साथ तनावपूर्ण बना रहा था. इसके अलावा राष्ट्रपति ने ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और उनकी जगह मिजोरम के डॉ. हरि बाबू कम्भमपत को राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है. जनरल डॉ. विजय कुमार सिंह को मिजोरम के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वहीं बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है.
'डीडब्ल्यू हिंदी' के लिए समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट है कि पंजाब और हरियाणा की सीमा पर स्थित खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से किसानों से बातचीत की कोई कोशिश नहीं की जा रही है. 24 दिसंबर को सत्तर वर्षीय जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 29वें दिन में पहुंच गया और डॉक्टरों का कहना है कि इस वजह से उनके शरीर में जो अंदरूनी नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई मुश्किल होगी. किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत तमाम वादे जो सरकार ने किसानों से किए थे, उन्हें पूरा किया जाए. उन्हीं मांगों के लिए सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से किसान दिल्ली आना चाहते हैं. आंदोलनरत किसानों के बीच किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर से ही आमरण अनशन पर हैं.
कांग्रेस ने चुनाव नियमों में संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में: कांग्रेस ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन को चुनौती दी. नया संशोधन चुनाव को अधिक अपारदर्शी बनाता है और सीसीटीवी फुटेज सहित चुनाव दस्तावेजों के एक हिस्से तक जनता की पहुंच को प्रतिबंधित करता है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने याचिका दायर कर ‘एक्स’ पर कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार चुनाव आयोग की है. उसने एकतरफा और बिना सार्वजनिक परामर्श के नियमों को बदला है. उसे इस तरह के महत्वपूर्ण नियम को इस‘बेशर्मी भरे तरीके’ से संशोधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
मणिपुर में हिंसा के पीछे ‘अदृश्य हाथ’: 'द हिंदू' के लिए विजेता सिंह की रिपोर्ट है कि मणिपुर हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल ने मणिपुर में जारी हिंसा के पीछे एक 'अदृश्य हाथ' होने की संभावना जताई है. उन्होंने कहा कि जब भी स्थिति सामान्य होने लगती है, कोई नई हिंसा को भड़काने का काम करता है. जस्टिस मृदुल ने कहा, “हर बार जब ऐसा लगता है कि मणिपुर में स्थिति सामान्य हो रही है, तभी कोई ताजा हिंसा की चिंगारी भड़का देता है. यह एक सोची-समझी रणनीति की ओर इशारा करता है.” उनके अनुसार, मणिपुर में हिंसा केवल स्थानीय नहीं है, बल्कि इसके पीछे कुछ अदृश्य शक्तियां काम कर रही हैं, जो राज्य में शांति की प्रक्रिया को बाधित करना चाहती हैं. गौरतलब है कि राज्य में जातीय हिंसा और संघर्ष लंबे समय से जारी है. कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष ने स्थिति को और खराब कर दिया है. जस्टिस मृदुल की यह टिप्पणी मणिपुर में हिंसा के पीछे गहरे षड्यंत्र की ओर इशारा करती है. सवाल खड़ा होता है कि कौन इन घटनाओं को भड़का रहा है?
छत्तीसगढ़: चावल चोरी के शक में दलित व्यक्ति की पिटाई, मौत
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट है कि छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में एक दलित व्यक्ति पंचराम सारथी उर्फ बुटू (50) को चावल चोरी के आरोप में पेड़ से बांधकर पीटा गया, जिससे उसकी मौत हो गई. मुख्य आरोपी वीरेंद्र सिदार (50) ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि रात करीब 2 बजे उसने कुछ आवाज सुनी और देखा कि पीड़ित उसके घर में चावल की बोरी चोरी करने की कोशिश कर रहा है. गुस्से में सिदार ने अपने पड़ोसियों, अजय प्रधान (42) और अशोक प्रधान (44) को बुलाया. तीनों ने मिलकर सारथी को पेड़ से बांध दिया और बेरहमी से पिटाई की, जिससे उसकी मौत मौके पर ही हो गई. रायगढ़ जिले के डुमरपल्ली गांव की यह घटना है. तीनों आरोपियों वीरेंद्र सिदार, अजय प्रधान और अशोक प्रधान को गिरफ्तार कर लिया गया है और इनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है.
विश्लेषण
कोई सुन क्यों नहीं रहा मोहन भागवत की?
राजेश चतुर्वेदी
ऐसा पहली बार हुआ है कि आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत, जिन्हें मौजूदा भगवा ब्रिगेड का सर्वेसर्वा माना जाता है, को कथित तौर पर अपने ही ‘इकोसिस्टम’ में कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है. भागवत बीते कुछ अरसे से देश के सामुदायिक, सांस्कृतिक और सामाजिक ताने बाने पर लगातार अच्छी अच्छी बातें बोल रहे हैं, बगैर यह परवाह किए कि अनुयायी उनकी बातों पर कितना ध्यान दे रहे हैं या उनकी नसीहतें कितनों को अमल के लिए प्रेरित कर रही हैं. पिछले हफ्ते पुणे में उन्होंने कहा था, ‘हम लंबे समय से सद्भाव के साथ रह रहे हैं. यदि हम दुनिया को यह सद्भाव देना चाहते हैं तो हमें इसका एक मॉडल तैयार करने की जरूरत है. राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग सोचते हैं कि नई जगहों पर ऐसे ही मुद्दे उठाकर वे हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. यह स्वीकार्य नहीं है.’ कायदे से तो संघ प्रमुख के इस कथन का स्वागत किया जाना चाहिए. लेकिन हो इसके उलट रहा है. साधु संतों की बिरादरी भागवत पर टूट पड़ी है. उन्हीं भागवत को उनकी हद बता रही है, जो इसी वर्ष जनवरी में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के बगलगीर बने सब देख रहे थे. जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा है, “भागवत हमारे अनुशासक नहीं हैं, लेकिन हम हैं.” आचार्यों की संस्था अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि धार्मिक विषयों का फैसला धर्माचार्य करते हैं. आरएसएस तो सांस्कृतिक संगठन है, धर्माचार्य जो निर्णय लेंगे वही विहिप और संघ को मान्य होगा. ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तो कहा है कि जब उन्हें सत्ता चाहिए थी तो मंदिर-मंदिर करते थे और अब सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं ढूंढ़ने की नसीहत दे रहे हैं. तो, क्या यह मान लिया जाना चाहिए कि भागवत ने बर्र के छत्ते में हाथ दे दिया है? या फिर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की इस बात में दम है कि संघ की विचारधारा ही भाजपा की अंडरग्राउंड विचारधारा है. जो असल में भाजपा के लिए सुरंग खोदने का काम करती है. इसलिए आज जो कुछ कहा जा रहा है, भागवत को कम से कम यह सब भाजपा को समझाना चाहिए. यदि वह (भागवत) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक फोन कॉल कर दें तो न कोई सर्वे होगा, न सम्भल की तरह विवाद. दरअसल, अभी ऐसा कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ा है, जिससे यह कहा जा सके कि भागवत की तमाम नसीहतों का संघ के कुनबे पर कितना असर पड़ा है. खासकर उसके सबसे बड़े राजनीतिक प्रकल्प भाजपा पर, जो विगत दस वर्षों से देश पर राज कर रही है. क्योंकि लोकतांत्रिक समाज में सद्भाव या समरसता कायम रखने की पहली जिम्मेदारी सत्ता और उस पर काबिज नुमाइंदों की होती है. लेकिन भागवत की ताजा सीख के बाद भाजपा की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. बल्कि उत्तर भारत में उन जगहों से मंदिर-मस्जिद के विवाद ज्यादा सामने आ रहे हैं, जहां वह सत्तारूढ़ है. जबकि भागवत ने दो साल पहले नागपुर में संघ के शिक्षा वर्ग में यह कहा था कि इतिहास वो है, जिसे हम बदल नहीं सकते. इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने...यह उस समय घटा...हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? अब हमको कोई आंदोलन करना नहीं है...साफ है कि भगवा इकोसिस्टम के जो अन्य हिंदुत्वजीवी हैं, वे संघ प्रमुख की बातों से अप्रभावित रहे. संभवतः यही कारण है कि सम्भल, उत्तरकाशी और अजमेरशरीफ से नई खबरें आईं. स्थिति न बिगड़े, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप कर अदालतों से कहना पड़ा कि वे इस तरह के विवादों में सर्वे आदि के आदेश न दें. गौर करने वाली बात यह भी है कि भागवत के सद्भाव और समरसता वाले बयान अभी से नहीं, विगत कुछ वर्षों से आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि उनके पास ऐसा क्या फीडबैक है, जो उन्हें हिंदुत्व की अपनी विचारधारा से थोड़ी इतर लाइन लेने के लिए बाध्य कर रहा है? क्या चीजें सचमुच उनके (संघ) काबू में नहीं हैं या बाहर होती जा रही हैं? द संडे गार्डीअन में पंकज वोहरा ने लिखा है कि असलियत यह है कि विभाजनकारी राजनीति समस्याओं की ओर ले जा रही है जो अपरिवर्तनीय हो सकती हैं और लंबे समय में देश के हितों को नुकसान पहुँचा सकती है. यह विभाजन केवल समुदायों के बीच नहीं, बल्कि क्षेत्रों के बीच भी बढ़ाया जा रहा है. इन सभी का अंत होना चाहिए और भागवत को यह सुनिश्चित करना चाहिए. भागवत की मंशा भले ही नेक हो, लेकिन उनके अनुयायियों के कार्यों पर रोक लगानी आवश्यक है. द प्रिंट में शेखर गुप्ता भी यह सवाल उठाते हैं कि देश या भाजपा सरकार भी कितने सम्भल संभाल सकती है? अगर यह सब इसी तरह बेलगाम जारी रहा तब इस तरह की राजनीति करके मजबूत बनने वाली इसी भाजपा की राज्य सरकारों को अपना राज्य संभालना मुश्किल हो जाएगा. यह भाजपा भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश कहना इसलिए पसंद करती है क्योंकि इसका हिंदू बहुमत यह चाहता है. वास्तव में, यह एक ठोस तर्क है. इसलिए, हिंदुओं का भी और उनका प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाली पार्टी का भी सबसे बड़ा हित इसी में है कि सबको साथ लेकर चले. जाने माने विधि विशेषज्ञ फैज़ान मुस्तफा ने मोहन भागवत के इस तरह के बयानों का ब्यौरा देते हुए उन्हें गंभीरता से लिए जाने की तरफदारी की है.
कुल मिला कर, बात अटकती यहीं है कि संघ प्रमुख होने के नाते भागवत जो कह रहे हैं, अनुयायी या विचार परिवार उस पर कितना अमल कर रहा है, कितना ग्रहण या शिरोधार्य कर रहा है? अब तक यह मानने के लिए कोई कारण मौजूद नहीं हैं कि भागवत की नसीहतों को शिद्दत के साथ स्वीकार कर लिया गया हो या कर लिया जाएगा. यह मान लेना भी जल्दबाजी होगी कि संघ प्रमुख परोक्ष रूप से भाजपा के नेतृत्व को कोई चेतावनी दे रहे हैं. और फिर, महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि क्या संघ खुद इन बातों पर यकीन करता है या फिर ये सिर्फ बीच-बीच में की जाने वाली ‘लिप सर्विस’ है. भाजपा, संघ और संत-महंत सबको पता है कि इन बातों का उनके लिए कोई मतलब नहीं है. चाहे खुद भागवत हों या अदालत. जिस रायते का टैम्पलेट संघ और भाजपा ने बनाया था, वह अब फैल चुका है. चाहे वे खुद इसमें शामिल हों या न हों. वैसे भी चिलमन के पीछे की हकीकत क्या है, भला कौन जानता है? पुरानी एक कहावत है, चोर से कहो चोरी कर और साहूकार से जागते रहो...!
तस्लीमा का ममता सरकार पर ‘लज्जा’ हटाने का आरोप निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया कि उनके उपन्यास पर आधारित नाटक 'लज्जा' को राज्य में आयोजित दो थिएटर समारोहों में जबरन रद्द कर दिया गया. नसरीन ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उत्तर 24 परगना के ‘गोबरडांगा नाट्योत्सव’ और हुगली के ‘पांडुआ नाट्योत्सव’ में आयोजकों पर नाटक को कार्यक्रम से हटाने का दबाव बनाया. उन्हें डर था कि इससे सांप्रदायिक दंगे भड़क सकते हैं.
सोडियम नाइट्रेट का इस्तेमाल कर 12 लोगों की हत्या कुबूली : अहमदाबाद के सरखेज पुलिस को 1 दिसंबर को एक टिप मिली, जिससे एक व्यवसायी की हत्या होने से बच गई. व्यवसायी के पीछे एक सीरियल किलर नवलसिंह कानू चावड़ा (42) लगा था. ऐसा पुलिस ने 3 दिसंबर को नवलसिंह कानू चावड़ा (42) को गिरफ्तार कर बताया है. चावड़ा ने कथित तौर पर सोडियम नाइट्रेट का उपयोग करके 12 व्यक्तियों की हत्या करने की बात कबूल की है. इस मामले में पहले एक मुखबिर की गिरफ्तारी हुई थी, जिसने गुजरात पुलिस को आरोपी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी थी. हत्याओं का उद्देश्य अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन पुलिस मान रही है कि इनका मकसद निजी दुश्मनी या लाभ हो सकता है. पुलिस ने चावड़ा के ठिकानों से सबूत जुटाए हैं, जिनसे उसकी आपराधिक गतिविधियों का पता चला. सोडियम नाइट्रेट को रसायन अधिनियम, 1985 और विष अधिनियम, 1919 के तहत नियंत्रित किया गया है. भारत में खतरनाक रसायनों की खरीद और भंडारण पर पुलिस और संबंधित विभाग नजर रखते हैं, लेकिन चावड़ा को ये आसानी से कैसे मिलता रहा, एक गुत्थी ही है.
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में रहस्यमयी बीमारी से 9 की मौत : जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में एक रहस्यमय बीमारी ने पिछले 15 दिनों में नौ लोगों की जान ले ली है. विशेषज्ञ मौत के पीछे के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. मरने वालों में बच्चे भी हैं.
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा है कि महिला वक़ील अदालत में अपना चेहरा ढँककर नहीं पेश हो सकती. जस्टिस मोक्ष खजूरिया क़ाज़मी ने 13 दिसंबर को दिए उक्त आदेश में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के प्रावधानों का हवाला दिया. अदालत ने यह आदेश उसके बाद दिया है, जब खुद को वकील बताने वाली सैयद ऐनैन क़ादरी नामक महिला ने 27 नवंबर को एक मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस राहुल भारती के घूँघट हटाने को कहे जाने के बावजूद घूँघट हटाने से इनकार कर दिया था. महिला ने दावा किया कि चेहरा ढँककर पेश होना उसका अधिकार है. अदालत उसे घूँघट हटाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. इसके बाद जस्टिस भारती ने बतौर अधिवक्ता उनकी उपस्थिति पर विचार नहीं किया. कहा- न्यायालय उसकी पहचान की पुष्टि करने में असमर्थ है, साथ में पीठ ने याचिकाकर्ताओं को चेतावनी भी दी कि यदि उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं किया गया तो उनका मामला खारिज किया जा सकता है.
संसद में फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाने पर ओवैसी को बरेली कोर्ट का समन : एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी को बरेली की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने पेश होने का निर्देश दिया है. वकील वीरेंद्र गुप्ता ने अदालत में एक याचिका लगाई है, जिसमें दावा किया गया है कि उन्होंने संसद में शपथ ग्रहण के दौरान फिलिस्तीन के समर्थन में नारा लगाकर संविधान का उल्लंघन किया है. ओवैसी के नारे से उन्हें ठेस पहुंची है.
‘दुनिया एक पुल है, इस पर से गुजरो, लेकिन इस पर कोई घर मत बनाओ. जो एक दिन की आशा करता है, वह अनंत काल की आशा कर सकता है, लेकिन दुनिया केवल एक घंटे तक टिकती है. इसे प्रार्थना में बिताओ, क्योंकि बाकी अदृश्य है’.
इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने तारिफ़ ख़लीदी की किताब ‘द मुस्लिम जीसस : सेयिंग्स एंड स्टोरीज़ इन इस्लामिक लिटरेचर’ पर बात करते हुए मुगल शहंशाह अकबर की राजधानी रही फतेहपुर सीकरी को याद किया है. इस शहर में विजय का प्रतीक बुलंद दरवाजे पर ईसा मसीह की पंक्तियां लिखी हैं. डेलरिम्पल लिखते हैं- ‘फतेहपुर सीकरी 16वीं शताब्दी के अंत में आगरा के बाहर सम्राट अकबर द्वारा बनाई गई उजड़ चुकी मुगल राजधानी है. इसके केंद्र में बुलंद दरवाजा है, जो भारतीय वास्तुकला की महान कृतियों में से एक है. शहर का सबसे भव्य स्मारक है. मीनारों और छतरी गुंबदों की पंक्तियों के साथ एक ऊंचा मेहराब. यह उस तरह के शाही ग़ुमान को दर्शाता है, जो मुस्लिम वास्तुकला को उसके सबसे आत्मविश्वासी और शाही रूप में परिभाषित करता है’.
वह आगे लिखते हैं, ‘यह पृथ्वी पर आखिरी जगह है, जहाँ आप एक स्पष्ट रूप से ईसाई शिलालेख की उम्मीद करेंगे. लेकिन मेहराब के चारों ओर कुफिक लिपि का एक पैनल है, जिसमें लिखा है- ‘यीशु, मरियम के पुत्र (उन पर शांति हो) ने कहा- दुनिया एक पुल है, इस पर से गुजरो, लेकिन इस पर कोई घर मत बनाओ. जो एक दिन की आशा करता है, वह अनंत काल की आशा कर सकता है, लेकिन दुनिया केवल एक घंटे तक टिकती है. इसे प्रार्थना में बिताओ, क्योंकि बाकी अदृश्य है’.
डेलरिम्पल लिखते हैं- ‘सोलह साल पहले, भारत की अपनी पहली यात्रा पर एक बैकपैकर के रूप में, मुझे याद है कि मैं पैनल के सामने खड़ा था, और अपने पुराने लोनली प्लैनेट में दिए गए अनुवाद पर हैरान था. यह दोगुना आश्चर्यजनक था, न केवल एक प्रमुख मुस्लिम स्मारक में एक ईसाई उद्धरण को केंद्र में रखना अजीब लगा, बल्कि उद्धरण से स्वयं पूरी तरह से अपरिचित था. यह ऐसा लग रहा था जैसे यीशु ने कुछ कहा हो, लेकिन मुझे निश्चित रूप से ऐसा कोई पाठ याद नहीं आया, जिसमें मसीह ने कहा हो कि दुनिया एक पुल की तरह है, जो मुझे शर्म की बात लगी. क्योंकि यह एक अच्छी छवि थी और निश्चित रूप से एक यात्रा करने वाले बैकपैकर को पसंद आई. लेकिन भले ही उद्धरण प्रामाणिक था, एक मुस्लिम सम्राट अपनी राजधानी में मुख्य मस्जिद के प्रवेश द्वार पर ऐसा वाक्यांश क्यों रखना चाहेगा? क्या ईसाइयों को हमेशा मुसलमानों का दुश्मन और प्रतिद्वंद्वी नहीं माना जाता था - और इसके विपरीत?
तारिफ़ ख़ालिदी की ‘द मुस्लिम जीसस’ की एक प्रति उन सभी सवालों के जवाब दे सकती थी.
बुलंद दरवाजे पर न सिर्फ यीशु की पंक्तियां लिखी है, बल्कि दरवाजे पर पारसी शिलालेख बना है और कुरआन की आयत भी है. इसमें हिंदू वास्तुकला का भी प्रयोग किया गया है. हिस्ट्री चैनल के इस वीडियो में सुनिए इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल से इस बुलंद दरवाजे की खास बातें.
चैंपियंस ट्रॉफी भारत अपने मैच दुबई में खेलेगा
आठ साल बाद हाइब्रिड मॉडल पर चैंपियंस ट्रॉफी होने जा रहा है. मंगलवार को आठ टीमों के बीच खेले जाने वाले मिनी विश्वकप का पूरा कार्यक्रम सामने आ गया है. आप पूरा शेड्यूल यहां देख सकते हैं. टूर्नामेंट का आयोजन पाकिस्तान कर रहा है, मगर भारत के सारे मैच संयुक्त अरब अमीरात के शहर दुबई में खेले जाएंगे. टूर्नामेंट का आगाज़ 19 फरवरी, 2025 को मेजबान पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच कराची में होने वाले मैच से होगा. ये टीमें भारत और बांग्लादेश के साथ ग्रुप ए का हिस्सा हैं. ग्रुप बी में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और अफगानिस्तान शामिल हैं। भारत अपना पहला मैच 20 फरवरी को बांग्लादेश के खिलाफ खेलेगा. भारत के बाकी बचे दो मैच पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के खिलाफ 23 फरवरी और 2 मार्च को होंगे. सेमीफाइनल 4 और 5 मार्च को होंगे. फाइनल 9 मार्च को होगा. अगर भारत फाइनल में पहुंचता है तो यह मैच दुबई में होगा. इससे पहले, आईसीसी ने घोषणा की थी कि 2024 से 2027 तक भारत या पाकिस्तान में होने वाले सारे आईसीसी इवेंट्स तटस्थ स्थल पर खेले जाएंगे.
नापा 7,516 किलोमीटर का समुद्री तट और ढूंढे कछुओं के कई राज
'द प्रिंट' के लिए करनजीत कौर ने एक रिपोर्ट की है. सतीश भास्कर पर, जिन्हें भारत का 'टर्टल मैन' भी कहा जाता है. उन्होंने अत्यंत सीमित संसाधनों और जानकारी के बावजूद भारत के समुद्री कछुओं के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण शोध किए. 1970 और 1980 के दशक में सतीश भास्कर ने भारत के 7,516 किलोमीटर लंबे समुद्री तट पर पैदल यात्रा की. उनके पास केवल एक छोटा ट्रांजिस्टर, सीमित संसाधन और थोड़ा सा समर्थन था. अब उनके जीवन की कहानी पर आधारित फिल्म 'टर्टल वॉकर' अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रही है और अमेरिका में कई अवॉर्ड्स जीत रही है. इसे तैरा मलानी ने बनाया है. 75 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए उन्होंने सात साल का वक्त लिया, लेकिन यह भी भारत के 'टर्टल मैन' सतीश भास्कर के कामों के सामने कम ही अवधि है. उन्होंने समुद्री कछुओं की प्रजातियों, उनके घोंसले बनाने की जगहों और उनके व्यवहार का अध्ययन किया. उनके शोध ने भारत में समुद्री कछुओं के संरक्षण के सभी प्रयासों की नींव रखी. इस फिल्म को रीमा कागती और जोया अख्तर ने को-प्रोड्यूस किया है. फिल्म के बारे में आप फिल्म के सिनेमेटोग्राफर और डायरेक्टर से हुई बातचीत को यहां भी सुन सकते हैं.
पूर्व अमेरिकी एनएसए जॉन बोल्टन ने कहा- 'ट्रम्प को न इतिहास की समझ न वैश्विक राजनीति की, दूसरे कार्यकाल में उभरेंगे बड़े अंतरराष्ट्रीय संकट'
‘द गार्डियन’ की एक खबर के मुताबिक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने डोनाल्ड ट्रम्प के संभावित दूसरे कार्यकाल को लेकर गंभीर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि ट्रम्प के नेतृत्व में एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय संकट होने की संभावना ‘काफी अधिक’ है. बोल्टन ने ट्रम्प के ज्ञान की कमी की बात भी कही है. बोल्टन ने कहा कि ट्रम्प को अंतरराष्ट्रीय संबंधों और रणनीतिक मुद्दों की गहरी समझ नहीं है. 'उन्हें न तो इतिहास की समझ है, न ही वैश्विक राजनीति की'. बोल्टन के अनुसार, ट्रम्प के नेतृत्व में फैसले अक्सर बिना किसी ठोस योजना के लिए जाते हैं, जिससे अनिश्चितता और अस्थिरता पैदा होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. बोल्टन ने आरोप लगाया कि ट्रम्प अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को भी प्रभावित करते हैं. बोल्टन ने ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान लिए गए विवादास्पद फैसलों, जैसे कि उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन के साथ बातचीत और ईरान के साथ परमाणु समझौते से बाहर निकलने, का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ट्रम्प की "अस्थिर" नीतियां अमेरिका के लिए दीर्घकालिक खतरा साबित हो सकती हैं.
अमेरिकी सासंद मैट गेट्ज़ पर नाबालिग समेत 20 औरतों से पैसा देकर यौन संबध बनाने के आरोप, ट्रम्प ने मार ली चुप्पी
अमेरिकी हाउस एथिक्स कमेटी की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रिपब्लिकन सांसद मैट गेट्ज़ ने कम से कम 20 मौकों पर यौन संबंध और ड्रग्स के लिए दसियों हजार डॉलर का भुगतान किया. गेट्ज़ पर आरोप है कि उसने इस दौरान नाबालिग लड़कियों के साथ भी यौन संबंध बनाए और इसके लिए भुगतान किया. अमेरिका में यह आरोप गंभीर है और कानूनन इसे नाबालिग तस्करी और यौन अपराध माना जा सकता है. हालांकि, हर अपराधी मानसिकता के राजनीतिक शख्स की तरह गेट्ज़ ने भी इन आरोपों का खंडन कर दिया है और इसे राजनीतिक साजिश ही करार दिया है. गेट्ज़ ने कहा है कि उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है, इसलिए वह निर्दोष है. अगर आरोप साबित होते हैं, तो यह न केवल गेट्ज़ के राजनीतिक करियर को खत्म कर सकता है, बल्कि उसे कठोर कानूनी सजा का सामना भी करना पड़ सकता है. हालांकि, मैट गेट्ज़ और डोनाल्ड ट्रम्प के संबंध काफी अच्छे हैं. गेट्ज़, ट्रम्प का मुखर समर्थक रहा है और उसने कई मुद्दों पर ट्रम्प के एजेंडे को जोर-शोर से आगे बढ़ाया. मैट गेट्ज अटॉर्नी जनरल बनने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प की पहली पसंद थे. हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटरों के विरोध और सीएनएन द्वारा उनके खिलाफ एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट में लगे आरोपों का खुलासा करने के बाद, गेट्ज ने अटॉर्नी जनरल बनने की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया था.
बिरयानी या दोसा, ज्यादा क्या खा रहा है भारत?
बिरयानी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यह भारत की सबसे पसंदीदा डिश है. अपनी अनूठी खुशबू, स्वाद और विविधताओं के कारण बिरयानी हर भारतीय के दिल और थाली का अहम हिस्सा बनी हुई है. स्विगी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार उसने इस साल 8.3 करोड़ ऑर्डर बिरयानी के लिए, जिससे यह ई-सेवा के माध्यम से ऑर्डर किया गया सबसे लोकप्रिय व्यंजन बन गया. 'द हिंदू' के अनुसार इस सूची में अगला स्थान दोसा का था, जिसके स्विगी को 2.3 करोड़ ऑर्डर मिले. 8.3 करोड़ बिरयानी का मतलब है कि हर मिनट लगभग 158 बिरयानी ऑर्डर की गई.
85%
भारतीय खाते हैं नॉन वेज
एनएसएसओ ने भारतीयों के खान-पान की आदत पर 2022-23 में एक सर्वे किया था. इस रिपोर्ट को अभी सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जारी किया है. इसके अनुसार, भारत में 85% से भी अधिक भारतीय मांसाहारी भोजन का सेवन करते हैं. मांसाहार का सेवन करने में नगालैंड 99.8% के साथ सबसे ऊपर है. उसके बाद पश्चिम बंगाल (99.3%), केरल (99.1%), फिर आंध्र प्रदेश (98.25%) और तमिलनाडु (97.65%) हैं.
बीफ को लेकर चेन्नई में हंगामा, गोवा में किल्लत
तमिलनाडु शहरी आजीविका मिशन द्वारा आयोजित चेन्नई फूड फेस्टिवल विवादों में घिर गया है. 20 दिसंबर को शुरू हुए इस फेस्टिवल में बीफ व्यंजन शामिल नहीं किए गए थे, जिसके बाद इसे लेकर विरोध जताया गया है. सोशल मीडिया पर इसे 'जातिवादी मानसिकता' का परिणाम बताया गया. यह मुद्दा तमिलनाडु में भोजन और सामाजिक समानता के सवालों को एक बार फिर से चर्चा में लेकर आया है. फेस्टिवल के पहले दिन (शुक्रवार) बीफ व्यंजनों की अनुपस्थिति पर कुछ समूहों ने सवाल उठाए. इसके बाद रविवार को आयोजकों ने मेनू में बीफ व्यंजन शामिल करने की बात कही. हालांकि, आयोजकों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि बीफ व्यंजन पहले से ही मेनू का हिस्सा थे.
इधर गोवा में 16 दिसंबर को मांस व्यापारियों ने हड़ताल कर दी, जिससे राज्य में गोमांस की आपूर्ति पर संकट खड़ा हो गया है. मडगांव स्थित दक्षिण गोवा योजना और विकास प्राधिकरण (SGPDA) के बाजार परिसर में मांस विक्रेताओं ने अपने स्टॉल बंद कर दिए. व्यापारियों ने आरोप लगाया कि गौ रक्षा समूहों द्वारा 'उत्पीड़न' किया जा रहा है.
उन्होंने मांग की कि सरकार 'गौ रक्षा समूहों पर लगाम लगाए' और गोमांस ले जाने वाले वाहनों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करे. गोवा मीट कॉम्प्लेक्स से राज्य के अन्य हिस्सों में गोमांस की आपूर्ति बंद होने से किल्लत बढ़ सकती है. व्यापारियों ने कहा कि हुडदंगियों के चलते बाजार और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान पैदा हो राहा है, जिसे रोकने के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना होगा.
यूपी पुलिस ने बनाई ‘डिजिटल वारियर्स’ की टीम : यूपी पुलिस ने फर्जी खबरों से निपटने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और कॉलेज के छात्रों को ‘डिजिटल वॉरियर्स’ के रूप में शामिल किया है. उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार के अनुसार, ‘डिजिटल वॉरियर्स’ साइबर अपराध के के खिलाफ जागरूकता बढ़ाएंगे, भ्रामक खबरों का मुकाबला करेंगे, आम नागरिकों को साइबर प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षित करेंगे, और पुलिस के सराहनीय कार्यों और अभियानों का प्रचार करेंगे.
क्या हमारे जंगल सेहतमंद हैं?
यूट्यूब चैनल 'इको एन एनर्जी टॉक' पर हृदयेश जोशी ने इस बार हरियाली को लेकर सरकारी दावों की पड़ताल करते हुए, जंगल को लेकर सरकार की आंकडेबाजी के गणित को समझाने की कोशिश की है. इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2023 कहती है कि सरकारी कागज़ों में जंगल कम बढ़े और ट्री कवर अधिक. घने जंगलों और मध्यम घने जंगलों का क्षेत्रफ़ल तो करीब साढ़े तीन हज़ार वर्ग किलोमीटर घटा है. देश के 8 हिमालयी राज्यों में फॉरेस्ट कवर घटा है और आग की घटनायें बढ़ी हैं. सर्वाधिक हरे भरे राज्य मध्यप्रदेश में फॉरेस्ट कवर सबसे अधिक घटा है. छत्तीसगढ़ में ट्री कवर बढ़ा लेकिन फॉरेस्ट कवर घटा है. देखिए ये रिपेार्ट...
धोनी और झारखंड भाजपा पर आवासीय प्लॉट का व्यावसायिक इस्तेमाल का आरोप, हाउसिंग बोर्ड ने शुरू की जांच
पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने आवासीय भूखंड आवंटित किया था. हरमू रोड स्थित उनका आवास उसी भूखंड पर है. अब बोर्ड का आरोप है कि विश्व विजेता इंडियन टीम का नेतृत्व कर चुके धोनी इस आवासीय भूखंड का व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं. बोर्ड के अनुसार, आवंटित आवासीय भूमि का व्यावसायिक उपयोग करना नियमों का उल्लंघन है. यह विवाद तब शुरू हुआ जब धोनी के हरमू स्थित आवास पर डायग्नोस्टिक सेंटर बनाए जाने की खबरें सामने आईं है. इसके बाद बोर्ड ने जांच के आदेश दे दिए हैं. बोर्ड ने क्रिकेट में शानदार उपलब्धि के लिए धोनी को करीब 10,000 वर्ग फीट भूखंड आवंटित की थी. अब इस भूखंड पर आलीशान आवास बना हुआ है. दिलचस्प बात यह है कि आवासीय भूखंडों के दुरुपयोग के ऐसे ही आरोप हरमू रोड स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय पर भी लगा है. इस संबंध में हाउसिंग बोर्ड ने पहले नोटिस जारी किया था. जांच दोनों पर चल रही है.
एआई तस्वीरें : ‘समानांतर ब्रह्मांड में क्रिसमस’ आप भी मनाएं ज्यो जॉन मुलो की कलाकृति के साथ
मज़्कूर आलम
इंस्टाग्राम कलाकार ज्यो जॉन मुलो ने एआई-जेनरेटेड इमेज़ अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. इसमें उन्होंने अपने इमोशन का तड़का लगाया है और शीर्षक दिया है- ‘समानांतर ब्रह्मांड में क्रिसमस’. इसे देखकर हो सकता है कि आपकी खट्टी-मीठी यादें ताजा हो जाएं. इन तस्वीरों में आपको हास्य, विडंबना, और वैचारिकी तीनों दिखेंगी. क्रिसमस के जश्न के बीच जब आप इन तस्वीरों से गुजरेंगे तो यह आपके वैचारिक जश्न को आंदोलित कर सकती है.
इन कलाकृतियों में पंडित जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी को देखकर आजादी कितनी मुश्किलों से हमें मिली है, वह आपके ज़ेहन में तिर सकता है. वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तस्वीर उनके पिता राजीव गांधी के साथ देखकर भावुक हो सकते हैं, जिनकी हत्या इतनी निर्दयता से की गई थी कि लाश तक नहीं मिली थी.
लौहपुरुष सरदार पटेल को जब विश्व प्रसिद्ध कैरेक्टर आयरनमैन मारवेल के साथ देखकर भारत के एकीकरण में उनकी फ़ौलादी सोच की झलक आपको मिल सकती है. तो सशस्त्र क्रांति के निर्विवाद पक्षधर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ सदा कानून की बात करने वाले बाबा साहब भीम राव अंबेडकर को क्रिसमस मनाते देख दो विपरीत विचारधारा के लोगों का भारत को बनाने में दिये गये योगदान की आपको निश्चित याद आएगी.
और धरती की सर्वश्रेष्ठ ब्यूटी (क्लियोपेट्रा) को महानतम ब्यूटी ऑफ ब्रेन अल्बर्ट आइंस्टाइन के साथ देखेंगे तो मुस्कुराहट जरूर आपके चेहरे पर फैल जाएगी.
वहीं जरा सोचिए अगर फासिज्म के खिलाफ विश्व भर में प्रतीक चे-ग्वेरा या चार्ली चैपलीन के साथ विश्व का सबसे बड़ा फासिस्ट चेहरा हिटलर साथ में क्रिसमस मना रहा हो तो आपके भीतर वैचारिक आलोढ़न होगा या नहीं. इनके अलावा भी इसी तरह के कई और विलोम हस्तियां एक साथ आपको इन कलाकृतियों में दिखेंगी.
कलाकार ज्यो जॉन मुलो ने इंस्टाग्राम पर इन कलाकृतियों को शेयर करते हुए लिखा भी है- ‘अपने पसंदीदा लोगों की ड्रीम टीम के साथ जश्न मनाना. विभिन्न आयामों में यादें बनाना. महाकाव्य वार्तालापों से लेकर महान क्षणों तक, यह एक ऐसी छुट्टी है जो किसी और की तरह नहीं है! आप अपने समानांतर क्रिसमस पर किसे आमंत्रित करेंगे’?
चलते चलते: पारी के दस साल… और ग्रामीण भारत की कहानियों, तस्वीरों, कहानियों का बेजोड़ पिटारा
‘एवरी बडी लव्स ए गुड ड्राट’ लिखने वाले पत्रकार पी साईनाथ की पहल पीपल्स आर्काइव्ज ऑफ इंडिया अब एक जंगल में खड़े बड़े से और शानदार बरगद की तरह है. साईनाथ ने पारी के दस साल के मौके पर जो नोट लिखा है, वह हर उस व्यक्ति को पढ़ना चाहिए, जो भारत को, इसके लोगों को, पत्रकारिता और नागरिक अधिकारों को गंभीरता से लेने का दावा करता है. पारी ने इन दस सालों में बहुत सारे लोगों की फौज खड़ी की जो गांव खेड़ों में जाकर हाशिये पर खड़े या वहां से धकियाए जाते लोगों की कहानियां, बयान, तस्वीर और वीडियो लेकर आये. यह सब बिना विज्ञापन या बाजारू ताकतों के हुआ, ये एक और विलक्षण बात है. साईनाथ अपने नोट में कहते हैं-
इन दस वर्षों में पारी ने 80 पुरस्कार, इनाम, सम्मान जीते हैं. इनमें 22 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं. फ़िलहाल, इन 80 पुरस्कारों में से केवल 77 का उल्लेख हमारी वेबसाइट पर मिलता है - क्योंकि तीन की घोषणा तभी की जा सकती है, जब आयोजक हमें अनुमति देंगे. इसका मतलब है कि पिछले एक दशक में हमने लगभग हर 45 दिन में एक पुरस्कार जीता है. कोई भी बड़ा और कथित 'मुख्यधारा' का प्रकाशन इस उपलब्धि के क़रीब भी नहीं पहुंचता.
और यह भी..
बीते दस सालों में, हमने 33 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 381 ज़िलों को कवर किया है. और इस काम को 1,400 से ज़्यादा पत्रकारों, लेखकों, कवियों, फ़ोटोग्राफ़रों, फ़िल्म निर्माताओं, अनुवादकों, चित्रकारों, संपादकों और पारी के साथ इंटर्नशिप कर रहे सैकड़ों लोगों ने अंजाम दिया है.
कि पारी पंद्रह भाषाओं में अपनी कहानियां ले कर जाता है.. और लोगों के सिर्फ मसले ही नहीं, बल्कि उनके गीत, संस्कृति और रीति रिवाज को भी कवर करता है, इस पूरे प्रयास को और ज्यादा मानीखेज़ बनाती है. जैसे ये गीत..
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.