22 दिसंबर 2024: भारत से बचा पर पेगासस अमेरिका में फंसा, चुनाव आयोग और अपारदर्शी, रूस पर यूक्रेनी हमले, राहुल की जाँच अब क्राइम ब्रांच को, दंगों के बाद बदली ज़िंदगियाँ
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
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आज की सुर्खियाँ: संसद परिसर में हुई धक्कामुक्की का सीसीटीवी फुटेज अभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया है. हालांकि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत जरूर दर्ज करवाई थी. अब भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, जबकि राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा की शिकायत पर दर्ज एफआईआर पर केस क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया है. समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद जया बच्चन ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों पर आरोप लगाया कि वे अस्पताल में इलाज के दौरान 'नाटक' कर रहे हैं और उनके 'अभिनय प्रदर्शन' के लिए उन्हें सभी पुरस्कार दिए जाने चाहिए. जया बच्चन ने कहा, 'वे (भाजपा सांसद) अस्पताल में भर्ती हैं और नाटक कर रहे हैं. उनके अभिनय के लिए उन्हें इस श्रेणी के सभी पुरस्कार मिलने चाहिए.' यह टिप्पणी भाजपा सांसदों प्रतिमा भौमिक, निशिकांत दुबे और अन्य के संदर्भ में की गई, जो संसद सत्र के दौरान हुई झड़पों में कथित तौर पर घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे.
चुनाव आयोग कुछ और भी छिपायेगा जनता से
भारत का चुनाव आयोग पहले की तरह अब अपनी प्रक्रिया से जुड़े सारे दस्तावेज सार्वजनिक नहीं करेगा. स्क्रॉल में अरविंद गुणशेखर की ख़बर है कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को चुनाव आचरण नियमों में इस आशय से संशोधन किया कि सभी चुनाव संबंधी दस्तावेज जनता द्वारा प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं. 1961 के चुनाव आचरण नियमों के पहले नियम 93(2)(क) में कहा गया था कि "चुनाव से संबंधित अन्य सभी कागजात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे". नियम के संशोधित संस्करण में कहा गया है: "इन नियमों में निर्दिष्ट चुनाव से संबंधित अन्य सभी कागजात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे." यहां, तक कि अदालतें भी चुनाव आयोग को सभी चुनाव संबंधी कागजात जनता को उपलब्ध कराने का निर्देश नहीं दे पाएंगी. यह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा 9 दिसंबर को, चुनाव आयोग को हाल ही में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान एक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों से संबंधित वीडियोग्राफी, सुरक्षा कैमरे के फुटेज और दस्तावेजों की प्रतियां अधिवक्ता महमूद प्राचा को उपलब्ध कराने का निर्देश देने के कुछ दिनों बाद आया है.
कायदों में इन बदलावों के बाद चुनाव आयोग की पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही पहले की तरह रहेगी, इसको लेकर विपक्षी दलों ने सवाल पूछने शुरू कर दिये हैं. कांग्रेस की तरफ से प्रवक्ता जयराम रमेश ने पूछा है कि चुनाव आयोग पारदर्शिता से इतना डर क्यों रहा है. और अरविंद केजरीवाल ने इसे गलत कदम करार दिया है.
जो जाँच भारत में कहीं नहीं पंहुची, उस पेगासस के ख़िलाफ व्हाट्सएप ने अमेरिका में मुकदमा जीता
व्हाट्सएप ने इजराइली जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस बनाने और संचालित करने वाली कंपनी एनएसओ के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट में मुकदमा जीत लिया है. अमेरिकी अदालत ने कहा है कि इजरायली स्पाइवेयर निर्माता 1,400 व्हाट्सएप इस्तमाल करने वालों के उपकरणों को निशाना बनाने का दोषी है. और उसने कंप्यूटर धोखाधड़ी और दुरुपयोग अधिनियम (सीएफएए), एक संघीय साइबर सुरक्षा कानून, और कैलिफ़ोर्निया में कैलिफ़ोर्निया कंप्यूटर डेटा एक्सेस और धोखाधड़ी अधिनियम (सीडीएएफए) जैसे कानूनों को तोड़ा है.
"पांच साल के मुकदमेबाजी के बाद, हम आज के फैसले के लिए आभारी हैं. एनएसओ अब व्हाट्सएप, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज पर अपने गैरकानूनी हमलों के लिए जवाबदेही से बच नहीं सकता है. इस फैसले के साथ, स्पाइवेयर कंपनियों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उनके गैरकानूनी कार्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा", व्हाट्सएप ने एक बयान में कहा. इंडियन एक्सप्रेस के सौम्यारेन्द्र बारीक ने इस पर विस्तार से रिपोर्ट दी है.
पेगासस का इस्तेमाल भारत में भी किया गया था. 2021 में, यह बताया गया था कि पेगासस का उपयोग नरेंद्र मोदी सरकार में सेवारत दो मंत्रियों, तीन विपक्षी नेताओं, एक संवैधानिक प्राधिकरण, कई पत्रकारों और व्यापारियों सहित 300 से अधिक भारतीय मोबाइल नंबरों पर किया गया था.
जब इस पर सवाल हुए तो नरेन्द्र मोदी सरकार इस आरोप से मुकर गई थी, हालांकि इजराइली कंपनी का दावा था कि वह सरकारी एजेंसियों के लिए ही काम करती है. एनएसओ ग्रुप ने यह भी दावा किया था कि जासूसी के आरोप झूठे और भ्रामक थे. "रिपोर्ट... गलत धारणाओं और असत्यापित सिद्धांतों से भरी है जो स्रोतों की विश्वसनीयता और हितों के बारे में गंभीर संदेह पैदा करती हैं. ऐसा लगता है कि 'अज्ञात स्रोतों' ने ऐसी जानकारी दी है जिसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है और जो वास्तविकता से बहुत दूर है," एनएसओ ग्रुप ने एक बयान में कहा था. हालांकि सबसे पहले मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पेगासस की जासूसी और एनएसओ की करतूत का खुलासा किया था. अमेरिका में, राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने 2021 में एनएसओ ग्रुप को ब्लैकलिस्ट में डाल दिया और अमेरिकी सरकारी एजेंसियों को इसके उत्पादों को खरीदने से मना कर दिया. पेगासस को दुनिया भर में सत्तावादी सरकारों द्वारा हैकिंग में फंसाया गया है.
भारत में पेगासस का नागरिकों पर इस्तेमाल किए जाने के आरोपों के बाद, आरोपों की जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं. 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके अनधिकृत निगरानी के आरोपों की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था. अगस्त 2022 में, तकनीकी विशेषज्ञों की समिति को इसकी जांच में लिए गए फोन में स्पाइवेयर के उपयोग पर कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला, लेकिन यह नोट किया कि केंद्र सरकार ने पैनल के साथ "सहयोग नहीं किया" था. रिपोर्ट सील है और तब से सार्वजनिक रूप से जारी नहीं की गई है. जांच पैनल की निगरानी कर रहे सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर वी रवींद्रन ने पहले ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया था, "चूंकि रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई है, इसलिए इस पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा." मामला यही पर खत्म समझा जा रहा था. पर जाहिर है भारत के बाहर पेगासस और एनएसओ पर अभी भी कई संगीन सवाल खड़े किये जा रहे हैं.
2021 में, पश्चिम बंगाल सरकार ने पेगासस का उपयोग करके फोन की कथित निगरानी की जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया. इसे राज्य के अभिनेताओं और गैर-राज्य अभिनेताओं के हाथों में, इंटरसेप्शन और इंटरसेप्शन के माध्यम से एकत्र की गई ऐसी जानकारी के कब्जे, भंडारण और उपयोग पर रिपोर्ट करने के लिए स्थापित किया गया था. हालांकि, आयोग का काम बाधित हो गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाद में दावा किया था कि पश्चिम बंगाल सरकार को पेगासस स्पाइवेयर खरीदने का प्रस्ताव मिला था, जिसमें एनएसओ ग्रुप लगभग चार-पांच साल पहले राज्य पुलिस को 25 करोड़ रुपये में अपना स्पाइवेयर देने के लिए तैयार था.
एकनाथ शिंदे को झटके लगना अभी बंद नहीं हुए: महाराष्ट्र में आखिरकार सरकार में शनिवार देर रात विभागों का आवंटन हो गया है. महाराष्ट्र की महायुति सरकार के लिए पोर्टफोलियो आवंटन में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अपने पास भारी भरकम विभाग रखे हैं. फडणवीस ने अपने पास कानून और न्यायपालिका के साथ-साथ महत्वपूर्ण गृह मंत्रालय रखा है, जो राज्य के शासन में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. वहीं गृह मंत्रालय की आस लगाए बैठे एकनाथ शिंदे को झटका लगा है. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शहरी विकास और आवास के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग सौंपा गया है. अजित पवार को वित्त और योजना तथा आबकारी विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. पांच दिसंबर को फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री बने थे, जबकि एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
पंजाब में 'आप' का जलवा बरकरार: पंजाब के पांच नगर निगमों और 44 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनावों में भी आप का जलवा रहा है. शुरुआती रुझानों में आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं. कांग्रेस और बीजेपी ने भी जोर लगाया है. हालांकि पटियाला, जालंधर के अब तक के आए नतीजों बताते हैं कि आप पंजाब में अब और मजबूती से पांव टिका रही है. आप पार्टी को ही सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं. हालांकि अमृतसर के 50 वार्डों में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की लहर देखने को मिली. कांग्रेस ने अभी तक 50 वार्डों के जारी रिजल्ट के अनुसार 19 पर जीत हासिल की, जबकि यहां आम आदमी पार्टी खबर लिखे जाने तक दूसरे नंबर पर चल रही थी.
शिव सेना अकेले लड़ेगी: इंडिया ब्लॉक के कई दल अपने-अपने राज्य में गठबंधन से मुक्त हो रहे हैं. हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एमवीए के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ सकती है.
केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति: दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की इज़ाजत दे दी है. ईडी ने 5 दिसंबर को एलजी से केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी थी. पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ ईडी ने इस साल मार्च में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था. 21 मार्च को 4 घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को अरेस्ट किया गया था. बाद में केजरीवाल को इस केस में जमानत मिल गई थी, लेकिन ईडी ट्रायल शुरू नहीं कर पाई थी.
बांग्लादेशी मरीज़ों के खिलाफ़ लामबंद बीजेपी कार्यकर्ता : ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर है कि कोलकाता के निजी अस्पताल जे एन रे के बाहर बांग्लादेशी मरीजों के खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है. अस्पताल उन प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में से एक है, जहां पड़ोसी देशों, विशेष रूप से बांग्लादेश से बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मांग की कि इस अस्पताल में बांग्लादेशी मरीजों का इलाज न किया जाए. उनका कहना था कि बांग्लादेशी नागरिकों की मौजूदगी के कारण भारतीय मरीजों को असुविधा हो रही है और चिकित्सा सेवाओं पर दबाव बढ़ रहा है. अस्पताल प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे हर मरीज का इलाज बिना भेदभाव के करते हैं. अस्पताल ने यह भी कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय मरीजों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित प्रक्रिया का पालन करते हैं. कोलकाता लंबे समय से चिकित्सा पर्यटन के लिए एक प्रमुख केंद्र रहा है. हाल के दिनों में, बांग्लादेशी मरीजों के वीजा और इलाज से जुड़े मुद्दों पर राजनीतिक और सामाजिक विवाद बढ़ा है.
बीमा प्रीमियम, खाद्य वितरण पर जीएसटी कम करने का प्रस्ताव टाल दिया : ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट है कि जीएसटी काउंसिल की जैसलमेर में बैठक हुई. इसमें कई बड़े फैसले लिए गए, लेकिन हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम और खाद्य वितरण पर टैक्स घटाने का फैसला टाल दिया गया. बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी है. वित्त मंत्री ने कहा कि हेल्थ इंश्योरेंस टैक्स से जुड़े काम के लिए जीओएम को और अधिक समय चाहिए. इस पर अभी रेगुलेटर आईआरडीएआई का इनपुट आना बाकी है. इसके अलावा सीतारमण ने कहा कि फोर्टिफाइड राइस केरनल्स पर टैक्स 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने का फैसला किया गया है. 2000 रुपये से कम पेमेंट करने वाले पेमेंट एग्रीगेटर्स को जीएसटी से छूट देने का फैसला दिया है. वित्त मंत्री ने कहा कि छोटी कंपनियों को रजिस्ट्रेशन में बहुत दिक्कत होती है तो अब नया रजिस्ट्रेशन प्रोसेस आएगा. ऐसे ही नए ईवी खरीदने पर 5 फीसदी टैक्स है, जबकि यूज्ड ईवी पर एक आदमी दूसरे को बेचेगा तो इस पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा, लेकिन अगर कोई कंपनी इसे खरीदती है तो मार्जिन पर 18 फीसदी टैक्स लगेगा. बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस द्वारा कर्जदारों पर लगाए गए जुर्माने पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा. पेट्रोल और डीजल को जीएसटी लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राज्य इसके पक्ष में नहीं हैं.
मदन लोकुर संयुक्त राष्ट्र आंतरिक न्याय परिषद के अध्यक्ष बने : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी. लोकुर को यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने तत्काल प्रभाव से संयुक्त राष्ट्र आंतरिक न्याय परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया है. यह नियुक्ति 12 नवंबर, 2028 तक के लिए है. गुटेरेस ने कहा, ‘मुझे आपको आंतरिक न्याय परिषद के अध्यक्ष की हैसियत से नियुक्त करते हुए खुशी हो रही है. जस्टिस लोकुर जिस परिषद का नेतृत्व करेंगे, उसमें दुनिया भर के प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल हैं. इनमें उरुग्वे से कारमेन आर्टिगस, ऑस्ट्रेलिया से रोजली बाल्किन, ऑस्ट्रिया से स्टीफन ब्रेज़िना और संयुक्त राज्य अमेरिका से जे पॉज़ेनल शामिल हैं.
सत्ता खो सकते हैं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो : ‘रॉयटर्स’ की एक रिपोर्ट है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अगले साल की शुरुआत में सत्ता से बाहर हो सकते हैं, क्योंकि उनके प्रमुख सहयोगी ने उनकी अल्पसंख्यक लिबरल सरकार को गिराने का इरादा जाहिर किया है. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वह जनवरी 27 को संसद के शीतकालीन अवकाश के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे. एनडीपी का समर्थन ही ट्रूडो की सरकार को टिकाए हुए था. जगमीत सिंह कहा- 'हमने ट्रूडो सरकार को काम करने का पर्याप्त मौका दिया, लेकिन वे जनता की प्राथमिकताओं पर खरे नहीं उतर सके. इसलिए अब वक्त आ गया है कि देश को एक नई दिशा दी जाए.'
आरएसएस ने अंबेडकर को सगा बनाने की कोशिश कब शुरू की
श्यामलाल यादव ने 'इंडियन एक्सप्रेस' में आरएसएस और भाजपा के दलित प्रतीकों के करीब जाने की राजनीति को समझने की कोशिश की है. यादव ने लिखा है कि आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने अपने 1925 में गठन के कई दशकों बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर का उल्लेख करना और उन्हें अपने विचारों से जोड़ना शुरू किया. संघ का प्राथमिक उद्देश्य हिंदुओं को एकजुट करना था, लेकिन साल 1927 में अंबेडकर और महाड़ सत्याग्रह और साल 1956 में अंबेडकर के बौद्ध धर्म में परिवर्तन ने संघ को इस योजना को नुक्सान पंहुचाया. डॉ. अंबेडकर ने दलितों के अधिकारों के लिए महाड़ सत्याग्रह चलाया, जिसमें ऊंची जातियों के खिलाफ आवाज उठाई गई और ये संघ के एजेंडे के उलट बात थी. ऐसे ही अंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया, जिसे आरएसएस ने हिंदू एकता के विचार के लिए एक बड़ी चुनौती माना. इन घटनाओं के बाद, संघ ने महसूस किया कि हिंदू समाज में जातिगत भेदभाव के कारण उसकी एकता की योजना बाधित हो रही है.
1950 के दशक के बाद, संघ ने अंबेडकर की विचारधारा और उनके योगदान को समझने और अपने प्रचार में शामिल करने का प्रयास शुरू किया. संघ को समझ आया कि जाति उन्मूलन और दलित समाज को साथ लाना हिंदू समाज की एकता के लिए जरूरी है. आरएसएस और भाजपा ने अंबेडकर को हिंदू एकता और दलित सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है. हालांकि, उनकी मूल विचारधारा और अंबेडकर के जातिगत उन्मूलन के सिद्धांतों के बीच अब भी मतभेद हैं. संघ द्वारा अंबेडकर का उल्लेख उनकी राजनीति और हिंदू समाज में अपनी स्वीकृति बढ़ाने के रणनीतिक कदम का हिस्सा है. अंबेडकर को दलित प्रतीक के रूप में अपनाने से आरएसएस ने दलितों के बीच पैठ बनाने की रणनीति अपनाई, लेकिन अब अमित शाह के बयान ने राजनीतिक बहस को गर्म कर दिया है. यह विवाद संविधान और अंबेडकर की विरासत पर चर्चा के जरिए विपक्ष को एकजुट करने का माध्यम बन सकता है.
मोहन भागवत से 'सांप्रदायिक सद्भाव' की बात पर सुप्रीम कोर्ट के वकील का खुला खत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में सांप्रदायिक सद्भाव के बारे में बात की. अब इसी को सुनकर सुप्रीम कोर्ट के एक वकील है प्रशांत पद्मनाभन, उन्होंने 'द वायर' के जरिए एक खुला पत्र संघ प्रमुख को भेजा है. इस पत्र में उन्होंने लिखा- 'आपका हालिया बयान, जिसमें आपने सांप्रदायिक सौहार्द्र की आवश्यकता पर जोर दिया, पढ़कर अत्यंत प्रसन्नता हुई. निस्संदेह, भारत की ताकत उसकी सर्वसमावेशी प्रकृति में निहित है. यह यात्रा तभी सफल हो सकती है जब हम हर उस व्यक्ति का हाथ थामें, जो एक समृद्ध और प्रगतिशील भारत का हिस्सा बनना चाहता है. आपने निराशा और अविश्वास के माहौल में उम्मीद की किरण जगाई है. जैसा आपने सही कहा, कि हर नागरिक समान है, तो अब आवश्यकता इस बात की है कि हम उन्हें सशक्त बनाएं, न कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में जनसंख्या को और बढ़ाएं. मैं आपको यह पत्र क्यों लिख रहा हूं? इसका कारण वही है, जो पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एस.वाई. कुरैशी ने दो साल पहले आपसे मिलने के बाद बताया था- विशेषकर मुस्लिम समुदाय और अन्य हाशिए पर रहने वाले वर्गों द्वारा महसूस की जाने वाली असुरक्षा. आपका यह संदेश, कि यह देश हर नागरिक का है और सभी को समान अधिकार मिलने चाहिए, अत्यंत महत्वपूर्ण है. आपके इस आह्वान से प्रेरणा लेकर, मुझे उम्मीद है कि संघ के अनुयायी सांप्रदायिक सौहार्द्र का संदेश फैलाने में योगदान देंगे. केवल सामुदायिक एकता ही शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को सुनिश्चित कर सकती है.'
हाशिमपुरा नरसंहार : सुप्रीम कोर्ट ने 2 और दोषियों को जमानत दी
उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा में प्रांतीय सशस्त्र बल के जवानों ने 38 अल्पसंख्यकों की हत्या कर दी थी. इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश का हवाला देते हुए दो और दोषियों को ज़मानत दे दी. शीर्ष अदालत ने 6 दिसंबर को इस मामले में आठ दोषियों को ज़मानत दी थी. हाशिमपुरा नरसंहार 22 मई, 1987 को हुआ था, जब 41वीं बटालियन की ‘सी-कंपनी’ से संबंधित प्रांतीय सशस्त्र बल (PAC) के कर्मियों ने सांप्रदायिक तनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के मेरठ में हाशिमपुरा से लगभग 50 मुस्लिम लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के बहाने शहर के बाहरी इलाके में ले जाकर गोली मार दी थी. इसमें 38 लोगों की मौत हो गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 में 16 आरोपियों को हत्या, हत्या के लिए अपहरण, साक्ष्य मिटाने और आपराधिक साजिश रचने का दोषी ठहराया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. दोषियों ने उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जो लंबित है.
अंतरधार्मिक जोड़े के लिए सेफ हाउस देने का आदेश : बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार से ठाणे के एक अंतरधार्मिक जोड़े को सुरक्षा मुहैया कराने और सुरक्षित आवास प्रदान करने को कहा है. जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ एक हिंदू पुरुष और एक मुस्लिम महिला की ओर से दायर याचिका पर उक्त आदेश दिया. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे 2021 से अंतरधार्मिक संबंध में हैं और शादी करने का फैसला किया है. उन्हें संबंधित परिवारों से जान का खतरा है.
एक भक्त दिनेश ने गलती से अपना आईफोन थिरूपुरूर में श्री कंडास्वामी मंदिर के भेंट पात्र में डाल दिया था. जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने मंदिर प्रशासन से संपर्क कर फोन वापस मांगा. तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने उसके आग्रह को ठुकरा दिया और कहा कि फोन अब मंदिर की संपत्ति है. इसके बाद दिनेश ने राज्य के मानव संसाधन एवं सीई मंत्री पीके शेखर बाबू से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, ‘जो कुछ भी भेंट पेटी में जमा किया जाता है, वह भगवान के खाते में जाता है’.
कानून विश्वविद्यालय में ट्रांसजेंडरों को 0.5% दे आरक्षण : कर्नाटक हाईकोर्ट ने नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU) को निर्देश दिया कि यूनिवर्सिटी जब तक ट्रांसजेंडरों के लिए आरक्षण नीति तैयार नहीं कर लेता, वह ऐसे आवेदकों को प्रवेश और फीस माफी में 0.5% अंतरिम क़ोटा प्रदान करे. अदालत ने यह निर्देश मुगिल अंबू वसंता की याचिका पर दिया है.
यूक्रेन ने रूस में किए 8 ड्रोन अटैक, 2 एयरपोर्ट बंद : रूस का कजान शहर शनिवार सुबह धमाकों से दहल गया. न्यूज एजेंसी ‘रॉयटर्स’ के मुताबिक, यूक्रेन ने कजान पर 8 ड्रोन अटैक किए. इनमें से 6 अटैक रिहायशी इमारतों पर हुए. कजान शहर रूस की राजधानी मॉस्को से 800 किलोमीटर दूर है. हालांकि हमले में किसी के मारे जाने की खबर बाहर तो नहीं आई है. सोशल मीडिया पर हमले के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें कई ड्रोन इमारतों से टकराते नजर आ रहे हैं. इन हमलों के बाद कजान समेत रूस के दो एयरपोर्ट्स को बंद कर दिया गया. हालांकि, कुछ समय बाद एयरपोर्ट को खोल दिया गया था.
चीन से भिड़ने को तैयार बैठा है ट्रम्प प्रशासन : 'रॉयटर्स' की रिपोर्ट है कि डोनाल्ड ट्रम्प की सत्ता में वापसी अमेरिका के फेंटेनल संकट के बहाने चीन पर नए प्रतिबंधों का इशारा कर रही है. रिपब्लिकन राष्ट्रपति-चुनाव की संक्रमण टीम के सलाहकार डेमोक्रेटिक अवलंबी, जो बाइडेन द्वारा अपनाए गए कानूनों की तुलना में फेंटेनाइल पर बीजिंग के प्रति अधिक आक्रामक रुख की वकालत कर रहे हैं. पहले से ही, ट्रम्प संकेत दे रहे हैं कि नशीले पदार्थों के प्रवाह को रोकने के लिए वह अपनी पसंद के हथियार का सहारा लेंगे, जो है टैरिफ! ट्रम्प ने हाल ही में अपने सोशल नेटवर्क, ट्रुथ सोशल पर पोस्ट में लिखा था कि चीन से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10% टैरिफ और मैक्सिको और कनाडा से आने वाले माल पर 25% शुल्क लगाया जाएगा. ट्रम्प ने दावा किया कि इन देशों ने अवैध दवाओं, विशेष रूप से फेंटेनाइल को संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने से रोकने के लिए पर्याप्त कार्रवाई नहीं की है. उन्होंने कहा कि दवाओं के प्रवाह को रोकने के बारे में चीन के साथ उनकी कई बातचीत हुई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ट्रम्प के सलाहकार भी कथित तौर पर फेंटेनाइल व्यापार से जुड़े चीनी वित्तीय संस्थानों पर अमेरिकी प्रतिबंधों पर जोर दे रहे हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प की टीम इस मुद्दे पर अधिक कठोर रुख अपनाने की योजना बना रही है. उनका उद्देश्य है कि चीन पर दबाव बढ़ाया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चीन से आने वाले रसायनों की आपूर्ति रोकी जा सके. बता दें कि फेंटेनाइल, एक अत्यधिक शक्तिशाली सिंथेटिक ओपिओइड है जो अमेरिका में ओवरडोज़ से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है. ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि बाइडेन की कूटनीति पर्याप्त प्रभावी नहीं रही है और चीन पर कड़ा रुख अपनाने की आवश्यकता है.
उर्दू प्रेस से
संविधान, अंबेडकर, मंदिर-मस्जिद, जस्टिस यादव रहे सुर्खियों में
इस हफ्ते उर्दू अखबारों पर 14 दिसंबर से संविधान के 75 वर्ष के अवसर पर संसद में हो रही बहस का असर दिखा. संविधान, अंबेडकर और अमित शाह को लेकर हो रहे आंदोलनों ने सुर्खियां पाई. वहीं उर्दू टाइम्स डेली अखबार में इसके अलावा मंदिर-मस्जिद को लेकर देशभर में जो हो रहा है, वह भी छाया रहा. 14 तारीख को कर्नाटक की एक मस्जिद में जय श्रीराम के नारे की खबर लीड रही तो वहीं सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भी 17 दिसंबर की अखबार की लीड रही कि मस्जिद में घुसकर जय श्रीराम कहना जुर्म नहीं. 15 को हरियाणा नूह में दो संप्रदायों के बीच तनाव की खबर, 16 को जस्टिस शेखर यादव के बयान पर एडिट. 18 को योगी और गोदी मीडिया की संभल में आग भड़काने की कोशिश नाकाम आदि खबरें रहीं. रोजनामा सहारा ने पूरी तरह से संविधान, अंबेडकर ओर अमित शाह को प्रमुखता दी. वहीं अखबारे मशरिक ने संविधान के बहाने चल रही खबरों के साथ पूरे हफ्ते जस्टिस शेखर यादव और उनके बयानों, सुप्रीम कोर्ट की नसीहत आदि पर खुद को फोकस रखा. डेली सियासत, ऐतमाद डेली समेत अन्य उर्दू अखबारों ने भी ज्यादातर संविधान और अंबेडकर पर संसद में चल रही बहस को प्रमुखता दी.
रूस में खनिज मिलते ही लुप्त होने लगते हैं वहाँ के बाशिंदे
आर्कटिक में स्थित यमाल प्रायद्वीप रूस के ऊर्जा साम्राज्य का केंद्र है. दुनिया में नेचुरल गैस के सबसे बड़े भंडार यहीं हैं, लेकिन वह रास्ता भी यहीं है, जहां से नेनेट्स जनजाति के लोग लंबे प्रवास पर जाते हैं. नेनेट्स जनजाति के लोग रेंडियर चराते हैं. ये लोग रूस के पश्चिमी साइबेरिया में यमाल प्रायद्वीप में 200 से ज़्यादा पीढ़ियों से रहते आ रहे हैं. वे अपने रेंडियरों के झुंड के साथ खाने की तलाश में बर्फ़ीले इलाक़ों में घूमते हैं. लेकिन जब यहां ब़ड़े पैमाने पर नेचुरल गैस के भंडार मिले, तो उनका यहां पर बड़े पैमाने पर नेचुरल गैस की खोज के बाद उनका आवास ख़तरे में पड़ गया. सर्जियो गिजार्दी ने इसी पर ‘डायचे वैले’ के लिए एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है. नोवाटेक, टोटल और चाइनीज़ नेशनल पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियां इस इलाक़े में आ गई हैं. यहां शहर बस गए हैं, रेलवे लाइन और हवाई अड्डा भी बन गया है. परमाणु ऊर्जा से चलने वाले आइसब्रेकर सुदूर इलाक़ों में जा रहे हैं और बोरहोल पूरे इलाक़े में फैल गए हैं. इसका स्थानीय ईकोसिस्टम पर बुरा असर पड़ रहा है. इससे जलवायु परिवर्तन भी तेज़ हो रहा है. पर्माफ़्रॉस्ट पहले ही पिघल रहा है. चरम मौसम की घटनाएं बढ़ रही हैं. जलवायु का अंदाजा लगाना नामुमकिन हो गया है. इससे चरवाहों का जीवन और जीवनशैली लगभग नामुमकिन हो गई है. गैस भंडार ने इस क्षेत्र को अमीर बना दिया है, लेकिन नेनेट्स को इसका फ़ायदा नहीं मिला. लगभग 70 प्रतिशत स्थानीय आबादी ग़रीबी रेखा से नीचे रहती है. नेनेट्स शिकायत नहीं कर रहे हैं. वे जानते हैं कि सरकार के ख़िलाफ़ लड़ाई में वे हार जाएंगे. वे ख़ुद को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन किस क़ीमत पर? और वे अपनी प्राचीन जीवनशैली को कब तक बचाए रख पाएंगे?
चलते -चलते: गुजरात दंगों के बाद कैसे बदल गई खैरुनिसा की जिंदगी
'न्यूजरील एशिया' के लिए सुरभि सिंह ने 2002 की गुजरात हिंसा के पीडितों से बात कर ये समझने की कोशिश की है कि सालों बाद उनपर इस घटना का क्या असर बाकी है! यह रिपोर्ट 2002 के गुजरात दंगों के बाद से मुस्लिम समुदाय के पीड़ितों के सामने आने वाली समस्याओं और उनके जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को उजागर करती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इन दंगों के दो दशक बाद भी, हिंसा के प्रभाव पूरी तरह समाप्त नहीं हुए हैं, और मुस्लिम समुदाय के कई हिस्से अभी भी सामाजिक, आर्थिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. रिपोर्ट में खैरुनिसा के बहाने गुजरात दंगों की भयावहता नजर आती है. खैरुनिसा ने अपने भाई-बहनों और माता-पिता के साथ अहमदाबाद में एक बहु-धार्मिक और बहुसांस्कृतिक अपार्टमेंट में वर्षों बिताए, जब तक कि 28 फरवरी, 2002 को शहर में मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक तनाव और लक्षित हिंसा नहीं भड़क उठी. उनके परिवार को यकीन था कि उनके पड़ोसी उनकी रक्षा करने में सक्षम होंगे, लेकिन तभी खैरुनिसा ने एक भीड़ को उनकी इमारत की ओर आते देखा. एक पल में, उनके जीवन और परिस्थितियाँ नाटकीय रूप से बदल गईं. देखिए ये रिपोर्ट...
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