20 नवम्बर 2024: कैश, भाजपा नेता, वीडियो वायरल.. गडकरी की 72 रैलियां, रूस ने दी न्यूक्लियर हमले की धमकी, व्हाट्सएप पर 213 करोड़ जुर्माना, बुलडोज़र जस्टिस के शिकार की आपबीती, नाडाल का टेनिस को अलविदा
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
सुर्खियाँ:
महाराष्ट्र में बुधवार को मतदान है और वसई विरार इलाके के एक होटल में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगा. लोगों की भीड़ ने सरेआम तावड़े को एक होटल में घेर लिया, जहां मौके से बड़ी मात्रा में नकदी मिली. मुंबई के उपनगर विरार के होटल में चुनाव आयोग के अफसरों ने तावड़े के कमरे से 9 लाख रुपए और कागजात बरामद किए है. इसका वीडियो सामने आया है. हालांकि चुनाव आयोग ने सिर्फ इतना कहा है कि कुछ सीज किया गया है. डिटेल में जानकारी नहीं दी है. राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा, “मोदी जी, यह 5 करोड़ किसके SAFE से निकला है? जनता का पैसा लूटकर आपको किसने टेंपो में भेजा है?” राज्य की 288 विधानसभा सीटों पर सिंगल फेज में 20 नवंबर को वोटिंग होगी. रिजल्ट 23 नवंबर को आएगा.
विश्लेषण: गडकरी की शरण में फिर से भाजपा?
महराष्ट्र से वरिष्ठ पत्रकार जयदीप हार्डिकर ने आज ट्वविटर पर एक लम्बा थ्रेड इस बारे में लिखा है. इसमें लिखा है, ‘आखिरकार, भाजपा को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नितिन गडकरी की सेवाएं लेनी ही पड़ीं. भले ही अंतिम चरण में. वही गडकरी, जिनकी 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में उपेक्षा की गई थी और किनारे रखा गया था. लेकिन इस बार गडकरी ने दीवाली के बाद अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की भारी मांग पर 72 रैलियों को संबोधित किया. ‘
‘किसी को भी आश्चर्य हो सकता है कि ऐसा क्यों हुआ? पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि विभाजनकारी एजेंडा मतदाताओं पर कोई प्रभाव नहीं डाल सका. उम्मीदवार सतर्क थे. गडकरी ने "बंटेंगे तो कटेंगे" या "वोट जिहाद" का नारा नहीं लगाया. सिर्फ अपने पसंदीदा विषय “विकास” पर फोकस किया, जो दरअसल पीएम मोदी, पूर्व सीएम फडणवीस या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से एकदम अलग था.’
‘गडकरी की तैनाती ने भाजपा की प्रमुख अंदरूनी समस्याओं को भी उजागर किया. मसलन, कोई ऐसा ओबीसी चेहरा नहीं है, जिसका पूरे महाराष्ट्र में असर हो और जो पार्टी के लिए वोट ला सके. फडणवीस को छोड़कर, जो खुद बीड जैसे कई जिलों में मतदाताओं के गुस्से के कारण प्रचार नहीं कर सकते, कोई अन्य दूसरा नेता प्रादेशिक स्तर पर प्रचार करने की स्थिति में नहीं था.’
‘भाजपा को यकीन नहीं है कि वोट महायुति गठबंधन के भीतर स्थानांतरित होंगे ; क्योंकि, पिछले लोकसभा चुनावों में ऐसा नहीं हुआ. भाजपा का काडर मानता है कि अजीत पवार को साथ लाने से नतीजे संतोषजनक नहीं आएंगे. लिहाजा वह अनमना बना रहा.’
‘यही कारण है कि आरएसएस ने नागपुर और कई अन्य प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में सिविल सोसाइटी फ्रंट कहे जाने वाले ‘लोक जागरण मंच’ का सहारा लिया. इस मंच के जरिए स्वयंसेवकों को चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए लगा दिया गया. चूंकि लोक जागरण मंच चुनाव आयोग के दायरे में नहीं आता, लिहाजा खर्च की सीमा का सवाल भी पैदा नहीं होता. फडणवीस स्वयं नागपुर से गैर हाजिर रहे और उनका पूरा काम इसी मंच ने संभाला.’
‘दरअसल, मोदी, शाह और योगी काडर और वोटरों के बीच असर पैदा नहीं कर रहे थे, यही देखने के बाद संघ को अपने हाथ में चुनाव लेना पड़ा और अंत में गडकरी खेल में शामिल किए गए. मोदी, शाह ने महाराष्ट्र चुनाव को अपने हाथ में ले लिया था और मुंबई समेत राज्य के दीगर इलाकों में अपनी टीम तैनात कर दी थी. जिससे राज्य की पार्टी लीडरशिप खुद को अलग-थलग महसूस कर रही थी.’
अंतिम चरण में मोदी नैरोबी उड़ गए और उसके बाद ब्राज़ील. शाह हिंसाग्रस्त मणिपुर में उलझ गए और योगी को तो भाजपा के ही कई उम्मीदवार नहीं चाहते थे कि वह उनके यहां आएं. बहरहाल, आज इस सुबह (मंगलवार को) गडकरी नागपुर में प्रेस से मिल रहे हैं. ऐसा लगता है कि वह लगभग एक दशक बाद महाराष्ट्र में फिर से सक्रिय हो गए हैं. लेकिन क्या इस आखिरी प्रयास में, जिसकी भाजपा को सख्त जरूरत थी, उन्होंने मतदाताओं पर कोई असर डाला है? हमें 23 तारीख का इंतजार करना होगा.
पिछले हफ्ते चुनाव आयोग ने झारखंड चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी के खुलेआम सांप्रदायिक वीडियो को डिलीट करने को कहा था. मंगलवार को वह पार्टी के आलोचकों के जरिये सोशल मीडिया पंहुच गया, जिन्हें आयोग के फैसले का पता नहीं था.
मणिपुर में एनडीए के विधायकों का अल्टीमेटम मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाओं के बाद राजनीतिक खतरा भी मंडरा रहा है. सत्तारूढ़ एनडीए के 27 विधायकों ने जिबिराम जिले में 6 नागरिकों की हत्या के लिए कुकी उग्रवादियों को दोषी ठहराया है और इनके खिलाफ “मास ऑपरेशन” चलाने और इनके संगठन को गैर कानूनी घोषित करने की मांग की है. 8 बिंदुओं के प्रस्ताव में 6 थाना क्षेत्रों में लागू किए गए “आफ्स्पा” पर पुनर्विचार करने की मांग भी केंद्र से की है. विधायकों ने कहा है, यदि प्रस्ताव पर 7 दिनों के भीतर अमल नहीं किया गया, तो वे राज्य के लोगों से सलाह मशविरा कर अगला कदम उठाएंगे. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह द्वारा बुलाई गई इस बैठक में खुद सीएम समेत 27 विधायक ही उपस्थित हुए. 60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद एनडीए के विधायकों की संख्या घटकर 46 हो गई है. इसमें से 19 विधायक बैठक में नहीं आए. सीनियर सुप्रीम कोर्ट वकील दुष्यंत दवे ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन न लगाए जाने पर आश्चर्य जताया है. उनका कहना है कि न सिर्फ लोग हिंसा के शिकार हो रहे हैं, बल्कि उन्हें हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर भी किया जा रहा है. अपने लेख में दवे ने कहा है कि संवैधानिक मशीनरी मणिपुर में पूरी तरह फेल हो चुकी है और इसलिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू को तुरंत धारा 356 के तहत कार्रवाई करनी चाहिए.
इधर, डेक्कन हेराल्ड के सुमीर करमाकर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस बैठक में 25 विधायक गैर हाजिर रहे. इनमें भी 14 भाजपा के हैं. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने “X” पर लिखा, “बीती रात सीएम को छोड़कर 26 विधायक बैठक में थे. इनमें भी 4 एनपीपी के हैं, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मौजूदा सीएम से अपना समर्थन वापस ले लिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर मणिपुर संकट को देखते हुए इस मामले में उनके तुरंत दखल देने की जरुरत बताई है. पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि मणिपुर संकट का एकमात्र कारण वहां के सीएम हैं. 5 हजार जवान भेजने से समस्या का हल नहीं निकलने वाला. इसके जवाब में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने चिदंबरम को ही मौजूदा संकट का “मूल कारण” बताया और कहा कि ये लोग ही म्यांमार में प्रतिबंधित संगठन के चेयरमैन को भारत लेकर आए थे.
स्पेस एक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने 19 नवम्बर को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से भारत के GSAT-20 संचार उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. भारत और एलोन मस्क की स्पेस एक्स के बीच हाल ही में करार हुआ था.
मुठभेड़ में नक्सल नेता की मौत: कर्नाटक पुलिस के एंटी नक्सल फोर्स (ANF) ने राज्य के उडुपी जिले के कब्बीनाल वन क्षेत्र में सोमवार देर रात हुई गोलीबारी में नक्सल नेता विक्रम गौड़ा को मार गिराया. 2021 में केरल पुलिस द्वारा गिरफ्तार 50 वर्षीय बीजी कृष्णमूर्ति उर्फ गंगाधर की गिरफ्तारी के बाद उसे कर्नाटक का आखिरी बड़ा नक्सल नेता माना जाता था.
राजस्थान सरकार ने सूफी संत ख्वाजा मोइनूद्दीन चिश्ती के कारण रखे गये अजमेर के खादिम होटल का नाम अब अजयमेरू रखने का फैसला किया है.
द प्रिंट में प्रकाशित खबर के मुताबिक मनरेगा एक्ट और इसके अमल के तहत सेंट्रल एम्पलायमेंट गारंटी काउंसिल की बैठक फरवरी 2021 के बाद से नहीं हुई है, न ही इसमे समुचित तौर पर नॉन आफिशियो या सिविल सोसाइटी के लोग शामिल किये गये हैं.
यूक्रेन पर रूसी हमले के 1,000 दिन और अब ‘एन’ शब्द का इस्तेमाल
यूक्रेन पर रूसी हमले के 1,000 दिन पूरे हो चुके हैं. मंगलवार को जहाँ अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की पहल के बाद यूक्रेन ने अमेरिकी मिसाइल रूस पर दागी, रूस ने कहा है वह न्यूक्लियर हथियारों का विकल्प इस्तेमाल कर सकता है. आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (Atacms) का मलबा ब्रायंस्क क्षेत्र में एक सैन्य अड्डे पर गिरा, जिससे हल्की आग लगी- रूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस क्षेत्र में पांच मिसाइलें मार गिराई गईं, और हमले से कोई हताहत या क्षति नहीं हुई. मंगलवार को कीव ने कहा कि वह मॉस्को के आक्रमण के खिलाफ 'कभी हार नहीं मानेगा'. रूस ने दावा किया है कि अमेरिकी निर्मित यूक्रेन की सीमा लगभग 6,00,000 वर्ग किलोमीटर है, जबकि रूस का आकार लगभग 17,10,000 वर्ग किलोमीटर का है. यूक्रेन ने दुनिया को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति कोई रियायत न देने की चेतावनी दी.
वहीं, रूस ने चेतावनी दी है कि अगर यूक्रेन पश्चिमी गैर-परमाणु मिसाइलों का इस्तेमाल रूस के खिलाफ करता है, तो इसका जवाब परमाणु हथियारों से दिया जा सकता है. क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा नई परमाणु सिद्धांत को मंजूरी देने के बाद यह बात कही जा रही है. रूस अमेरिकी लंबी दूरी की मिसाइलों के संभावित इस्तेमाल पर नजर रख रहा है. कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले साल भारत के दौरे पर आ सकते हैं. जुलाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मास्को गये थे और युद्ध रोकने की सलाह दी थी. और जिस तरह से दोनों गले लगे थे, उसको लेकर यूक्रेन और अमेरिका दोनों जगह सवाल उठे थे
युद्ध के 1000 दिन और आंकड़ों का आईना
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से तक़रीबन 70,000 से अधिक नागरिक मारे गए हैं.
बड़ी संख्या में युद्धग्रस्त इलाकों में लोग प्रभावित हुए हैं.
तकरीबन 1.6 करोड़ लोगों के विस्थापन का डेटा है
40,000 हजार करोड़ रुपये का विकास अब तक युद्ध की आग में जल चुका है.
संपत्तियों और बुनियादी ढांचे को क्षति पहुंची है.
शिक्षा पर भी युद्ध का पूरा प्रभाव पड़ रहा है. युद्धग्रस्त इलाकों में बच्चों को भूमिगत कक्षाओं में पढ़ना पड़ रहा है. कई दफा बच्चे हमले का शिकार हुए.
युद्ध के दौरान अब तक कई बार बिजलीघरों पर हमले हुए, जिससे ठंड के मौसम में जीवन कठिन हो गया. हाल ही में ऐसे ही अपने एक थर्मल पावर प्लांट पर हुए ऐसे ही एक हमले के बाद यूक्रेन को बिजली कटौती की घोषणा करनी पड़ी थी.
भारत में व्हाट्स एप की प्राइवेसी पॉलिसी बदलने के आरोप में मेटा पर 213 करोड़ रुपये का जुर्माना, क्या आप सुरक्षित हैं ?
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने सोशल मीडिया कंपनी मेटा (Meta) पर 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. अरबपति मार्क जुकरबर्ग की कंपनी पर भारत में यह जुर्माना 2021 में इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप द्वारा प्राइवेसी पॉलिसी बदलने के बाद अनुचित व्यावसायिक तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए लगाया गया है. इसके अलावा सीसीआई ने मेटा और व्हाट्सऐप को निश्चित समय में कुछ निश्चित व्यवहार को बंद करने और उनसे दूर रहने का निर्देश भी दिया है.
सोशल मीडिया कंपनी मेटा ने कहा कि वह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के उस पर 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के फैसले से सहमत नहीं है और इसके खिलाफ अपील करने की योजना बना रही है. आयोग ने मेटा से कहा कि वह व्हाट्सएप से प्राप्त उपयोगकर्ता डेटा को मेटा के अन्य उत्पादों या कंपनियों के साथ पांच साल तक विज्ञापन उद्देश्यों के लिए साझा न करें. इसके अलावा, आयोग ने यह भी कहा कि व्हाट्सएप पर प्राप्त उपयोगकर्ता डेटा को मेटा की अन्य कंपनियों या उत्पादों के साथ साझा करना, व्हाट्सएप सेवा के उपयोग के लिए उपयोगकर्ताओं पर शर्त नहीं होनी चाहिए.
साल 2024 में व्हाट्सएप ने ग्लोबल यूजर्स के 2 बिलियन के आंकडे को पार कर दिया था, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा मैसेजिंग ऐप बनाता है. व्हाट्सएप की शुरुआत जन कूम और ब्रायन एक्टन ने 2009 में की थी और इसे 2014 में मेटा (फेसबुक) ने खरीद लिया.
फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप का भूगोल फैलकर कुल जमा 6.96 अरब यूजर्स का खाका खींचता है, जो मेटा को दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल सोशल मीडिया नेटवर्क बना देता है. मेटा का मुख्य व्यवसाय मॉडल विज्ञापन पर आधारित है, जो उसके प्लेटफॉर्म्स पर उपयोगकर्ताओं के डेटा और इंटरैक्शन से उत्पन्न होता है. मेटा का कुल वार्षिक राजस्व 11,600 करोड़ के आसपास है और इसकी अधिकांश आय डिजिटल विज्ञापन से आती है.
क्या आपका डेटा सुरक्षित है ?
व्हाट्सएप और मेटा के खिलाफ दुनिया भर में कई देशों में डेटा गोपनीयता, उपयोगकर्ता की अनुमति और प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन करने को लेकर शिकायतें और जांच चल रही हैं. इन देशों में मुख्य चिंताएं डेटा सुरक्षा, गोपनीयता उल्लंघन और मेटा के द्वारा अन्य कंपनियों के मुकाबले अपनी प्रबल स्थिति का दुरुपयोग करने से संबंधित हैं.
यूरोपीय संघ के डेटा सुरक्षा कानून के तहत मेटा और व्हाट्सएप को कई बार जुर्माना भुगतना पड़ा है. यूरोपीय संघ ने मेटा पर विशेष रूप से उपयोगकर्ता डेटा को बिना उचित अनुमति के साझा करने के कारण कई जांचें की हैं.
2021 में व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति अपडेट ने यूरोपीय संघ में विवाद उत्पन्न किया क्योंकि इसमें उपयोगकर्ताओं को अपनी डेटा साझेदारी के बारे में स्पष्ट अनुमति नहीं दी गई थी. इस कारण, यूरोपीय आयोग ने मेटा के खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई है.
यूरोपीय संघ ने मेटा पर आरोप लगाया कि उसने अन्य कंपनियों के मुकाबले अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए उपयोगकर्ताओं के डेटा का गलत तरीके से उपयोग किया.
अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग (FTC) ने मेटा के खिलाफ एंटी-ट्रस्ट मामले दायर किए हैं, विशेष रूप से व्हाट्सएप और फेसबुक (अब मेटा) द्वारा डेटा संग्रह और विज्ञापन प्रथाओं को लेकर.
अमेरिकी कानूनों के तहत, मेटा के डेटा गोपनीयता प्रथाओं को लेकर कई आरोप लगाए गए हैं. उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा को लेकर कई राज्य सरकारों ने भी मेटा पर मुकदमा दायर किया है.
ब्राजील ने भी व्हाट्सएप पर डेटा गोपनीयता नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है. ब्राजील के अधिकारियों ने मेटा से यूज़र डेटा की सुरक्षा को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है, विशेष रूप से व्हाट्सएप द्वारा मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स के साथ डेटा साझा करने के संदर्भ में.
ब्राजील में व्हाट्सएप को कुछ समय के लिए ब्लॉक किया गया था क्योंकि उसने स्थानीय डेटा सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया था.
ऑस्ट्रेलिया में भी मेटा पर आरोप लगाए गए हैं कि उसने अपनी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति का दुरुपयोग किया और व्हाट्सएप के डेटा को अन्य व्यवसायों के साथ साझी किया, जिससे प्रतिस्पर्धा में अनावश्यक रुकावट आई.
ऑस्ट्रेलिया के डेटा सुरक्षा अधिकारियों ने व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति के संबंध में मेटा से कई बार स्पष्टीकरण मांगा है.
चीन में डेटा सुरक्षा और गोपनीयता कानून अत्यधिक सख्त हैं और विदेशी कंपनियों के लिए इन कानूनों का पालन करना अनिवार्य है. हालांकि, व्हाट्सएप चीन में पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन मेटा और अन्य कंपनियों को स्थानीय डेटा कानूनों का पालन करने के लिए कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
कई अन्य देशों मसलन जापान, कनाडा और दक्षिण कोरिया में भी मेटा और व्हाट्सएप की डेटा गोपनीयता नीतियों और प्रतिस्पर्धा प्रथाओं के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं.
आपबीती: घर दफ़न, पर उम्मीदें खड़ी हैं
मेरी बीवी और बच्ची मुझसे रो-रोकर पूछ रहे थे कि ऐसा कौन-सा गुनाह किया है आपने, जिसकी सजा हमें मिल रही है.
जावेद मुहम्मद
आपको याद होगा कि नूपुर शर्मा की मोहम्मद साहब पर टिप्पणी के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई थी. प्रयागराज में भी हुई थी. इसी में पुलिस ने मुझे आरोपी बनाकर जेल भेज दिया था और मैं जेल से न निकल पाऊं, इसकी पूरी कोशिश की गई थी.
कुछ ग्रुप्स के लोगों ने नूपुर शर्मा के बयान के बाद भारत बंद का ऐलान किया था. प्रयागराज बंद करने की बात भी की थी. वॉट्सएप पर इसके मैसेज खूब वायरल हो रहे थे. मैसेज में प्रयागराज के अटाला चौराहे पर इकट्ठा होने को कहा गया था. इतना वायरल हुआ था कि करीब-करीब सबके पास यह मैसेज पहुंच गया था. मेरे पास भी आया था. जाहिर है कि प्रयागराज प्रशासन को भी इसकी खबर रही होगी. इंटेलिजेंस और पुलिस को भी.
इसी के मद्देनजर प्रशासन की तरफ से 10 जून 2022 की सुबह मुझे फोन आया कि शुक्रवार की नमाज के वक्त काफी भीड़ इकट्ठा हो सकती है. हम चाहते हैं कि अगर जरूरत पड़े तो ऐसे लोगों को जो समाज पर असर रखते हैं, उन्हें बुलाएं. अगर ऐसी जरूरत पड़ी तो क्या आप आ सकते हैं? मैंने उन्हें कहा कि जरूर आएंगे साहब. इसके एक घंटे बाद तत्कालीन सिटी एसपी दिनेश सिंह साहब का फोन आया कि जावेद साहब ये वॉट्सएप मैसेज वायरल हो रहा है. पता नहीं चल पा रहा है कि कहां से आया है. आप इतना करें कि अपने फेसबुक पर एक मैसेज डाल दें कि आपसी सौहार्द्र को न बिगाड़ें. शुक्रवार की नमाज पढ़ें और सीधे घर जाएं. कहीं भीड़ न लगाएं. जो लोग भी मेमोरेंडम या शिकायत देना चाहते हैं, उसे बाद में दे दें, प्रशासन उसे ले लेगा. इतना मैसेज डालकर मैं मोहल्ले की मस्जिद में नमाज पढ़ने चला गया.
बाद नमाज़ टीवी से मालूम हुआ कि वहां पर ईंट-पत्थर चल रहे हैं. पुलिस से झड़प हो गई है. यह देखकर हम और कहीं नहीं निकले. घर में रहे. मेरा उस प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं था. बेवजह निकलने का कोई मतलब नहीं था.
(यही वजह जगह है, जहां जावेद मोहम्मद का मकान बुल्डोजर चलने के पहले था.)
इसके बाद ढाई-तीन बजे के बीच एसएसपी, प्रयागराज का फोन आया. उनका पहला सवाल यही था कि आप कहां हैं. मैंने कहा, घर पर ही हूं. उन्होंने बताया कि जावेद साहब यहां तो बहुत ईंट-पत्थर चल रहा है. लोगों को रोकने के लिए आपको यहां आना चाहिए. मैंने उन्हें कहा कि अब जब ईंट-पत्थर चल चुका है तो फिर लॉ एंड ऑर्डर का मामला हो गया. इस वक्त किसी की कोई सुनेगा नहीं. अच्छा ही हुआ कि मैं वहां नहीं गया. नहीं तो फोटो-वोटो खींचकर वह इसे ही सबूत बना लेते और कहते कि प्रदर्शनकारियों में मैं भी शामिल था.
ये मामला खत्म हो गया. बगल की मस्जिद में मगरिब की नमाज पढ़कर एक जरूरी काम से पास में ही अपने एक जानने वाले से मिलने चला गया. लौटा तो देखा कि दो थानों- खुल्दाबाज और करेली की पुलिस हमारे दरवाजे पर खड़ी है. जहां पर यह घटना हुई थी, वह जगह इन दो थाना क्षेत्रों के बीच थी.
हम रुके तो पड़ोसी ने कहा कि जावेद भाई यहीं रुकें. जब ये लोग चले जाएंगे, तब जाइएगा. मैंने कहा- क्यों? मेरे मन में कोई चोर था ही नहीं तो उनसे पूछने चले गए. क्यों आए हैं जनाब?
दोनों थाना के इंस्पेक्टर सामाजिक कार्यों की वजह से मुझे जानते थे. तो उन्होंने कहा कि साहब ने बातचीत के लिए बुलाया है. फिर हम कपड़े बदल कर उनके साथ गए. उन्होंने गाड़ी में बैठने के लिए कहा. मैंने कहा कि अपनी स्कूटी से आते हैं. थाने पर कोई अधिकारी नहीं था. तो उन्होंने कहा कि पुलिस लाइन चलना पड़ेगा. साहब लोग वहां हैं. पुलिस लाइन पहुंचा तो देखा कि चौराहे से पकड़कर 30-35 लोग पहले से बैठाए गए थे. यह बात रात करीब आठ बजे के आसपास की होगी. वहां उन लोगों के साथ मुझे भी डिटेन कर लिया. मेरे पूछने के बाद भी नहीं बताया कि क्यों रोक रखा है. मोबाइल मुझसे ले लिया.
मैं सोच रहा था कि घर वाले अभी तक परेशान होंगे. उन्हें मेरे बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा होगा. उधर रात साढ़े 11 बजे महिला पुलिस हमारे घर जा पहुंची और मेरी पत्नी और बेटी को यह कहकर थाने ले गई कि साहब बात करना चाहते हैं. मेरे से कोई बात नहीं हो पाई थी, इसलिए वे भी परेशान थे. थाने लाकर पुलिस ने उन्हें भी डिटेन कर लिया. 36 घंटे तक रोके रखा.
अगले दिन सुबह अखबार में मैंने देखा कि अटाला बवाल के मास्टर माइंड जावेद मोहम्मद. दूसरे दिन शनिवार शाम मुझे नैनी जेल भेज दिया. उसी अखबार में पढ़ा कि डीजीपी उत्तर प्रदेश का बयान है कि ऐसे लोगों का मकान तोड़ा जाएगा, जो पथराव में शामिल थे. तब भी मुझे नहीं लगा कि मेरा घर तोड़ा जाएगा, क्योंकि न मैं इस घटना में शामिल था और न पहले कभी ऐसा कोई केस रहा. फिर अगले दिन रविवार को जेल की टीवी पर अपना पूरा मकान टूटने का खौफनाक मंजर भी दिल पर पत्थर रखकर देखा.
इस बीच मुझे यह भी पता नहीं था कि मेरी पत्नी और बेटी कहां हैं? किस हाल में हैं? यह तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उन्हें भी डिटेन कर रखा है. मेरे कुछ दोस्तों ने उनकी रिहाई के लिए कोशिश की तो उन्हें रविवार की सुबह 9 बजे छोड़ दिया. उन्हें कहा गया कि घर मत जाना. तुम्हारे घर पर बुल्डोजर आज ही चलने वाला है.
सोचिए जरा मैं जेल में. मेरी पत्नी और बच्चे डिटेन. और हममें से किसी को कोई नोटिस भी नहीं मिला. हमलोगों को पता भी नहीं चला और शनिवार की रात उन्होंने मेरे नाम से मकान पर नोटिस चिपका दिया. रविवार को बुल्डोजर भी चला दिया. उन लोगों ने यह भी पता नहीं किया कि मकान किसके नाम से है. मेरा है या नहीं. वह मकान मेरी वाइफ़ फ़ातिमा परवीन के नाम से है.
इसके बाद मुझे और परेशान करने के लिए मेरा ट्रांसफर देवरिया जेल कर दिया. एक ऐसी जेल में जहां खूंखार अपराधी रखे जाते हैं.
मुझ पर 5 केस लगाकर जेल भेजा था. जब देखा कि एक-एक कर सब में बेल मिल रही है तो 3 केस और लगा दिए. जब देखा कि इनमें भी जमानत मिल जाएगी तो धाराएं बदलना शुरू कीं. एनएसए लगा दिया कि एक साल तक बेल ही न मिल सके. एक साल बाद जब एनएसए और सारी जमानतें खत्म हो गईं तो गैंगस्टर एक्ट में फंसा दिया. प्रयागराज प्रशासन या हुकूमत, चाहे जो भी इसमें रहा हो, उसकी कोशिश थी कि मैं जेल से बाहर न निकल पाऊं. हुकूमत इसलिए कह रहा हूं कि यह देखना उसका ही काम है कि उसके नीचे प्रशासन कैसा काम कर रहा है.
जब गैंगस्टर एक्ट में भी लगा कि जमानत मिल जाएगी तो आर्म्स एक्ट लगा दिया. प्रशासन ने कहा कि मेरे घर से दो कट्टे मिले हैं. अगर उन्हें घर गिराते वक्त ही कट्टे मिले थे तो उन्होंने उसी वक्त क्यों नहीं कहा कि मेरे घर से आर्म्स भी मिले हैं. जाहिर है कि यह सब मुझे परेशान करने के लिए किया जा रहा था.
देवरिया जेल में मैंने देखा कि बहुत से गरीब कैदी सही कानूनी मदद नहीं मिलने की वजह से जेल में बंद हैं. तो आदतन मैंने सभी को बिना उनका मजहब देखे कानूनी मदद उपलब्ध करवाई. जिससे 50 लोगों को जमानत मिली. प्रयागराज से कपड़े वगैरह मँगवाकर जेल के गरीब कैदियों में बंटवाये. जेल में लंबे वक्त तक इमामत भी की.
मेरी पत्नी ने अपना घर टूटने के 10 दिन बाद अवैध रूप से घर तोड़े जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. लेकिन कोई बहस नहीं हुई. केस लिस्टिंग के लिए 10 बार कोर्ट गया, मगर सरकार की तरफ से पेश होने वाले वकील ने कोई न कोई पेंच फंसा दिया. अब तक उस मामले में बहस नहीं हुई है.
सुप्रीम कोर्ट में जमीयतुल उलेमा ने जो केस डाल रखा था, उसमें मेरे केस का भी हवाला था, जिसमें अभी तीन-चार दिन पहले फैसला आया है. आखिरी तारीख पर मैं भी उसमें पेश हुआ था.
हमारे परिवार के साथ जो सबसे बुरा हुआ कि घर तोड़े जाने के बाद कोई रिश्तेदार, पुरसेहाल मदद के लिए आगे नहीं आया. वे सब या तो हुकूमत से डरे हुए थे या फिर यह सोच रहे थे कि ऐसे आदमी की मदद क्यों करें, जिस पर इतने केस हैं. मेरी पत्नी और बेटी रो-रोकर मुझसे पूछ रही थीं- आखिर आपने ऐसा क्या किया है कि जिसकी वजह से हम दर-दर भटक रहे हैं. क्या लोगों की मदद करना इतना बड़ा गुनाह है. मोहताजी के शिकार हो गए हैं. कोई रिश्तेदार या पड़ोसी मदद को आगे नहीं आ रहा. किराये पर मकान नहीं मिल रहा. सब मना कर दे रहे हैं. हमारी समझ में नहीं आ रहा है- कहां जाएं? क्या करें?
इधर घर पर बुल्डोजर चल जाने के बाद बहुत सारा सामान पुलिस वालों ने सड़क पर फेंक दिया था. उनमें से ज्यादातर गायब हो गया. वह पता नहीं पुलिस वाले ले गए या कोई राहगीर या पड़ोसी. या बंदरबांट हो गया. बहुत सारा सामान उन लोगों ने मकान से बाहर निकाला ही नहीं था. वह जमींदोज हुए मकान के साथ उसी में दफन हो गया. मेरे पास इन सारे जुल्मों से लड़ने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है. वह है कानूनी रास्ता और वह मैं लड़ रहा हूं.
सुप्रीम कोर्ट का हाल में जो फैसला आया है, वह काफी अच्छा है. इससे किसी का आशियाना उजाड़ने पर रोक लगेगी. इसमें स्पष्ट लिखा है कि आरोपी या दोषी होने पर किसी का घर नहीं उजाड़ा जा सकता, क्योंकि उसकी सजा तो आप दे ही रहे होते हैं. दूसरा, इससे अब पुलिस प्रशासन के लिए यह कह देना आसान नहीं होगा कि बुल्डोजर एक्शन से पहले नोटिस दे दिया था, क्योंकि कोर्ट ने सेल्फ जेनरेटेड कोड के साथ अन्य कई चीजें करने को भी अपने फैसले में कहा है. जैसे- बुलडोजर एक्शन क्यों जरूरी है? संरचना गिराने की प्रक्रिया भी बतानी होगी? साथ ही गाइडलाइन तोड़ने पर अफसर के खिलाफ कार्रवाई होगी और नुकसान की भरपाई अफसर से वसूली जाएगी.
(प्रयागराज में जावेद मोहम्मद की पहचान सोशल, पॉलिटिकल एक्टिविस्ट की है. पहले उनका वाटर पम्प का कारोबार था.)
पीपल्स आरकाइव्ज ऑफ इंडिया (पारी) में जेसिंता केरकट्टा ने अपनी ही ज़मीन से बेदख़ल होते झारखंड के आदिवासी शीर्षक से लिखा है, ‘इस नए डिजिटल भारत में, झारखंड के आदिवासी समुदाय धीरे-धीरे अपनी निजी व सामुदायिक ज़मीन से अधिकार खोते जा रहे हैं’ इस रिपोर्ट में कई मामले हैं, जिनमें से एक है-
फगुवा उरांव ने केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के कारण अपनी ज़मीन खो दी है, जो देश में सभी भूमि रिकॉर्डों को डिजिटल बनाने और उनके लिए केंद्र द्वारा प्रबंधित डेटाबेस बनाने वाला एक राष्ट्रव्यापी अभियान है. ऐसे सभी अभिलेखों को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने जनवरी 2016 में एक भूमि बैंक पोर्टल का उद्घाटन किया, जिसमें भूमि के बारे में ज़िलेवार जानकारी सूचीबद्ध की गई. इसका उद्देश्य "भूमि/संपत्ति विवादों के दायरे को कम करना और भूमि रिकॉर्ड रखरखाव प्रणालियों में पारदर्शिता बढ़ाना था." विडंबना यह है कि इसने फगुवा और उसके जैसे कई अन्य लोगों के लिए बिल्कुल विपरीत काम किया है.
पराये धर्म का लड़का चुराया, फिर छोड़ दिया : दिल्ली के लाल किले के पास से एक महिला ने एक बच्चे का अपहरण कर फिर उसे छोड़ दिया, क्योंकि उस लड़के का धर्म दूसरा था. पुलिस ने बताया कि अपहरण के आरोप में जब उस महिला को गिरफ्तार किया तो उसने बताया. उस महिला को सिर्फ दो बेटियां थी. बेटा एक भी नहीं था. इस वजह से उसने उस बच्चे को छोड़ दिया था.
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की नई समिति की पहली बैठक में अध्यक्ष बीआर नायडू के नेतृत्व में गैर हिंदुओं को वीआरएस लेने या तबादला करने का विकल्प दिया गया है. साथ ही कहा गया कि मंदिर में सियासी बयानबाजी नहीं होगी औऱ लड्डू बनाने के लिए बेहतर घी खरीदा जाएगा.
हांगकांग में 47 में से 45 लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को 4 से 10 साल तक की सजा सुनाई गई है. हांगकांग में चीन की ओर 2020 में लागू किए गए नेशनल सिक्यूरिटी लॉ (NSL) के तहत इन्हें सजा दी गई है. इन कार्यकर्ताओं को 2021 में इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा भंग करने के आरोप में पकड़ा गया था. इन्हें हांगकांग में HK-47 के नाम से भी जाना जाता है.
लखनऊ की ईडी ब्रांच ने उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पेपर और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग आर ओ / एआरओ परीक्षा पेपर लीक मामले में रवि अत्रि और सुभाष प्रकाश को गिरफ्तार किया है, जिन्हें इस स्कैंडल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है.
मैट गेट्ज डोनल्ड ट्रम्प सरकार में अटार्नी जनरल होंगे. गेट्ज का सेक्स स्कैंडल सामने आया है. दो महिलाओं ने हाउस एथिक्स कमेटी के समक्ष गवाही दी कि उन्हें पूर्व प्रतिनिधि मैट गेट्ज ने ‘यौन एहसानों’ के लिए उन्हें भुगतान किया था. दोनों महिलाओं के जोएल लेपर्ड वकील ने सोमवार को सीएनएन की एरिन बर्नेट को यह जानकारी दी. इसके अलावा, इन दोनों महिलाओं में से एक ने कांग्रेस के पैनल के सामने अपनी गवाही में यह भी कहा है कि साल 2017 में उसने गेट्ज को एक नाबालिग के साथ भी यौन संबंध बनाते देखा था.
चलते चलते: नाडाल का टेनिस कोर्ट से जाना
स्पेन के मलागा में चल रहे डेविस कप फाइनल 2024 में राफेल नडाल ने अपने करियर का आखिरी मैच खेलने की घोषणा की. यह उनका फेयरवेल टूर्नामेंट था, जहां स्पेन का मुकाबला नीदरलैंड्स से हुआ. नडाल, जो कि 22 बार के ग्रैंड स्लैम विजेता हैं, अपनी घरेलू सरजमीं पर इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में आखिरी बार खेल रहे हैं. स्पेन के लिए नडाल और कार्लोस अलकाराज़ की जोड़ी "नडालकाराज" एक खास आकर्षण रहा है. नडाल ने अपने फेयरवेल के दौरान अपने महान प्रतिद्वंद्वी रोजर फेडरर की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका मुकाबला टेनिस के सबसे सुनहरे युगों में से एक को परिभाषित करता है. इस इवेंट को "पुरुष टेनिस का वर्ल्ड कप" कहा जाता है, जिसमें शीर्ष खिलाड़ी अपने राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं. खबर लिखे जाने तक नडाल अपना आखिरी मैच खेल रहे थे.
रोजर फेडरर ने भी सोशल मीडिया पर एक भावुक पत्र लिखकर अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी राफेल नडाल को फेयरवेल दिया है. फेडरर ने लिखा कि नडाल ने उन्हें हमेशा बेहतर बनने की प्रेरणा दी और उनकी प्रतिस्पर्धा ने खेल को पुनर्परिभाषित किया. उन्होंने नडाल के साथ अपने 40 मुकाबलों को याद किया और कहा कि नडाल ने उन्हें अपने खेल को नए तरीके से देखने के लिए मजबूर किया. फेडरर ने लिखा, "तुम्हारा पुराना दोस्त हमेशा तुम्हारे लिए खुश रहेगा."
(नोट: भूल से 19 नवंबर के अंक में फिराक़ गोरखपुरी वाले लेख में वीडियो का एक ही लिंक दो बार लग गया था. दूसरा लिंक यहाँ है. और पहला यहाँ.)
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